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[जीवाजीवाभिगमसूत्र
ऋषभनाराच-जिसमें मर्कटबन्ध हो, पट्ट हो लेकिन कीलक न हो, ऐसी अस्थिरचना को ऋषभनाराच कहते हैं ।
नाराच-जिसमे मर्कटबन्ध से ही हड्डियाँ जुड़ी हों वह नाराचसंहनन है । अर्ध-नाराच-जिसमें एक तरफ मर्कटबन्ध हो और दूसरी ओर कीलिका हो, वह अर्ध-नाराच है। कीलिका–जिसमें हड्डियाँ कील से जुड़ी हों।
सेवात (छेदवर्ति)-जिसमें हड्डियाँ केवल आपस में जुड़ी हुई हों (कीलक आदि का बन्ध भी न हो) वह सेवार्त या छेदवर्ति संहनन है। प्रायः मनुष्यादि के यह संहनन होने पर तेलमालिश आदि की अपेक्षा रहती है।
उक्त प्रकार के छह संहननों में से सूक्ष्म पृथ्वीकायिक के अन्तिम छेदवर्ति या सेवार्त संहनन कहा गया है। यद्यपि सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीवों के औदारिक शरीर में हड़ियाँ नहीं होती हैं फिर भी हड्डी होने की स्थिति में जो शक्ति-विशेष होती है वह उनमें है, अतः उनको उपचार से संहनन माना है। सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीवों के औदारिक शरीर तो है, उस शरीर के कारण से सूक्ष्म शक्ति-विशेष तो होती ही है।
. ४. संस्थानद्वार-संस्थान का अर्थ है-आकृति। ये संस्थान छह बताये गये हैं- १ समचतुरस्रसंस्थान, २ न्यग्रोध-परिमंडलसंस्थान, ३ सादिसंस्थान, ४ कुब्जसंस्थान, ५ वामनसंस्थान, ६ हुंडसंस्थान ।
१. समचतुरस्र–पालथी मार कर बैठने पर जिस शरीर के चारों कोण समान हों। दोनों जानुओं, दोनों स्कन्धों का अन्तर समान हो, वाम जानु और दक्षिण स्कन्ध, वाम स्कन्ध और दक्षिण जानु का अन्तर समान हो, आसन से कपाल तक का अन्तर समान हो, ऐसी शरीराकृति को समचतुरस्रसंस्थान कहते हैं । अथवा सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिस शरीर के सम्पूर्ण अवयव ठीक प्रमाण वाले हों, वह समचतुरस्र है।
२. न्यग्रोधपरिमंडल-न्यग्रोध का अर्थ वटवृक्ष है। वटवृक्ष की तरह जिस शरीर का नाभि से ऊपर का हिस्सा पूर्ण हो और नीचे का भाग हीन हो वह न्यग्रोधपरिमंडल है।
३. सादि-यहाँ सादि से अर्थ नाभि से नीचे के भाग से है। जिस शरीर में नाभि से नीचे का भाग पूर्ण हो और ऊपर का भाग हीन हो वह सादिसंस्थान है।
४. कुब्ज-जिस शरीर में हाथ, पैर, सिर आदि अवयव ठीक हों परन्तु छाती, पीठ, पेट हीन और टेढ़े हों, वह कुब्जसंस्थान है।
५. वामन–जिस शरीर में छाती, पीठ, पेट आदि अवयव पूर्ण हों परन्तु हाथ, पैर आदि अवयव छोटे हों वह वामनसंस्थान है।
६. हुंड-जिस शरीर के सब अवयव हीन, अशुभ और विकृत हों, वह हुंडसंस्थान है। उक्त छह संस्थानों में से सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीवों के कौनसा संस्थान है, इस प्रश्न के उत्तर में कहा