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तृतीय प्रतिपत्ति :विजयदेव का उपपात और उसका अभिषेक]
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रहे हैं। कोई देव चन्दन घट और तोरणों से घर-घर के दरवाजे सजा रहे हैं, कोई देव ऊपर से नीचे तक लटकने वाली बड़ी बड़ी गोलाकार पुष्पमालाओं से उस राजधानी को सजा रहे हैं, कोई देव पांच वर्णों के श्रेष्ठ सुगन्धित पुष्पों के पुंजों से युक्त कर रहे हैं, कोई देव उस विजया राजधानी को काले अगुरु उत्तम कुन्दुरुक्क एवं लोभान जला जलाकर उससे उठती हुई सुगन्ध से उस मघमंघायमान कर रहे हैं अतएव वह राजधानी अत्यन्त सुगन्ध से अभिराम बनी हुई है और विशिष्ट गन्ध की बत्ती सी बन रही है। कोई देव स्वर्ण की वर्षा कर रहे हैं, कोई चांदी की वर्षा कर रहे हैं, कोई रत्न की, कोई वज्र की वर्षा कर रहे हैं, कोई फूल बरसा रहे हैं, कोई मालाएँ बरसा रहे हैं, कोई सुगन्धित द्रव्य, कोई सुगन्धित चूर्ण, कोई वस्त्र और कोई आभरणों की वर्षा कर रहे है। कोई देव हिरण्य (चांदी) बांट रहे हैं, कोई स्वर्ण, कोई रत्न, कोई वज्र, कोई फूल, कोई माल्य, कोई चूर्ण, कोई गंध, कोई वस्त्र और कोई देव आभरण बांट रहे हैं। (परस्पर आदान प्रदान कर रहे हैं।)
कोई देव द्रुत नामक नाट्यविधि का प्रदर्शन करते हैं, कोई देव विलम्बित नाट्यविधि का प्रदर्शन करते हैं, कोई देव द्रुतविलम्बित नामक नाट्यविधि का प्रदर्शन करते हैं, कोई देव अंचित नामक नाट्यविधि, कोई रिभित नाट्यविधि, कोई अंचित-रिभित नाट्यविधि, कोई आरभट नाट्यविधि, कोई भसोल नाट्यविधि कोई आरभट-भसोल नाट्यविधि, कोई उत्पात-निपातप्रवृत्त, संकुचित-प्रसारित, रेक्करचित (गमनागमन) भ्रान्त-संभ्रान्त नामक नाट्यविधियाँ प्रदर्शित करते हैं।
कोई देव चार प्रकार के वादिंत्र बजाते हैं । वे चार प्रकार ये हैं-तत, वितत, घन और झुषिर। कोई देव चार प्रकार के गेय गाते हैं। वे चार गेय ये हैं-उत्क्षिप्त, प्रवृत्त, मंद और रोचितावसान। कोई देव चार प्रकार के अभिनय करते हैं। वे चार प्रकार हैं-दार्टन्तिक, प्रतिश्रुतिक, सामान्यतोविनिपातिक और लोकमध्यावसान।
. कोई देव स्वयं को पीन (स्थूल) बना लेते हैं-फुला लेते हैं, कोई देव ताण्डवनृत्य करते हैं, कोई देव लास्यनृत्य करते हैं, कोई देव छु-छु करते हैं, कोई देव उक्त चारों क्रियाएँ करते हैं, कोई देव आस्फोटन (भूमि पर पैर फटकारना) करते है, कई देव वल्गन (कूदना) करते हैं, कई देव त्रिपदीछेदन (ताल ठोकना) करते हैं, कोई देव उक्त तीनों क्रियाएँ करते हैं। कोई देव घोड़े की तरह हिनहिनाते हैं, कोई हाथी की तरह गुड़गुड़ आवाज करते हैं, कोई रथ की आवाज की तरह आवाज निकालते हैं, कोई देव उक्त तीनों तरह की आवाजें निकलते हैं, कोई देव उछलते हैं, कोई देव विशेष रूप से उछलते हैं, कोई देव उत्कृष्टि अर्थात् छलांग लगाते हैं, कोई देव उक्त तीनों क्रियाएँ करते हैं, कोई देव सिंहनाद करते हैं, कोई देव भूमि पर पांव से आघात करते हैं, कोई देव भूमि पर हाथ से प्रहार करते हैं, कोई देव उक्त तीनों क्रियाएँ करते हैं। कोई देव हक्कार करते हैं, कोई देव बुक्कार करते हैं, कोई देव थक्कार कहते हैं, कोई देव पुत्कार (फुफु) करते हैं, कोई देव नाम सुनाने लगते है, कोई देव उक्त सब क्रियाएँ करते हैं। कोई देव ऊपर उछलते हैं, कोई देव नीचे गिरते हैं, कोई देव तिरछे गिरते हैं, कोई देव ये तीनों क्रियाएँ करते हैं।
कोई देव जलने लगते हैं, कोई देव ताप से तप्त होने लगते हैं, कोई खूब तपने लगते हैं, कोई देव