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________________ उद्वर्तना नरकों में पृथ्वी आदि का स्पर्शादि-निरूपण उद्देशाकार्शसंग्रहिणी गाथाएँ (तृतीय उद्देशक ) नरकों का पुद्गलपरिणाम तिर्यग् अधिकार तिर्यग्योनिकों के भेद तिर्यंच संबंधी द्वारप्ररूपणा गंधांगप्ररूपण विमानों के विषय में प्रश्न तिर्यग्योनिक अधिकार का द्वितीय उद्देशक पृथ्वीकायिकों के विषय में विशेष जानकारी निर्लेप सम्बन्धी कथन विशुद्ध-विशुद्ध लेश्या वाले अनगार का कथन सम्यग् - मिथ्या क्रिया का एक साथ न होना मनुष्य का अधिकार मनुष्यों के भेद कोरुक मनुष्यों के एकोरुक द्वीप का वर्णन कोरुक द्वीप के भूमिभागादि का वर्णन मादिवर्णन मत्तांगकल्पवृक्ष का वर्णन भृतांग त्रुटितांग दीपशिखा ज्योतिशिखा " मण्यंग गेहाकार "" "" " "" " "" चित्रांग नामक कल्पवृक्ष चित्ररस " "" "" "} "" " अनग्नकल्पवृक्ष कोरुक द्वीप के मनुष्यों का वर्णन कोरुक - स्त्रियों का वर्णन कोरुक द्वीप का प्रकीर्णक वर्णन कोरुक मनुष्यों की स्थिति आदि अकर्मभूमि- कर्मभूमिज मनुष्य [४०] २५४ २५४ २५७ २५९ २६४ २६४ २६८ २७२ २७५ २७९ २८० २८४ २८५ २८८ २९० २९० २९१ २९३ २९४ २९५ २९६ २९६ २९७ २९७ २९८ २९८ २९९ ३०० ३०१ ३०२ ३०५ 2 ३०८ ३१७ ३२३
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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