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[जीवाजीवाभिगमसूत्र
चाहिए। यावत् यह आर्यों का कथन हुआ। यह गर्भव्युत्क्रान्तिकों का कथन हुआ और उसके साथ ही मनुष्यों का कथन भी सम्पूर्ण हुआ।
अट्ठाईस अन्तद्धीपिकों के कोष्टक
(१) प्रथम चतुष्क विदिशा अवगाहन आयाम
परिधि
द्वीप नाम मेरु के दक्षिण में क्षुद्रहिमवान के उत्तरपूर्व ३०० योजन ३०० योजन ९४९ यो. विशेषाधिक एकोरुक दक्षिणपूर्व
आभाषिक दक्षिणपश्चिम ,
वैषाणिक उत्तरपश्चिम
लांगूलिक
द्वीप नाम । एकोरुक आभाषिक वैषाणिक लांगूलिक
विदिशा उत्तरपूर्व दक्षिणपूर्व दक्षिणपश्चिम उत्तरपश्चिम
(२) द्वितीय चतुष्क अवगाहन आयाम परिधि द्वीप नाम ४०० योजन ४०० योजन १२६५ यो. विशेषाधिक हयकर्ण
गजकर्ण गोकर्ण शष्कुलीकण
विदिशा उत्तरपूर्व
(३) तृतीय चतुष्क अवगाहन आयाम परिधि ५०० योजन ५०० योजन १५८१यो. विशेषाधिक
द्वीप नाम आदर्शमुख
द्वीप नाम हयकर्ण गजकर्ण गोकर्ण शष्कुलीकर्ण
दक्षिणपूर्व
मेण्द्रमुख
दक्षिणपश्चिम उत्तरपश्चिम
,
अयोमुख गोमुख
द्वीप नाम
आदर्शमुख मेण्द्रमुख अयोमुख
(४) चतुर्थ चतुष्क विदिशा अवगाहन आयाम परिधि
द्वीप नाम उत्तरपूर्व ६०० योजन ६०० योजन १८९७ यो. विशेषाधिक अश्वमुख दक्षिणपूर्वी
हस्तिमुख दक्षिणपश्चिम
सिंहमुख उत्तरपश्चिम
व्याघ्रमुख
गोमुख