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तृतीय प्रतिपत्ति : एकोरुक द्वीप का प्रकीर्णक वर्णन]
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__ हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में इन्द्रमहोत्सव, स्कंद (कार्तिकेय) महोत्सव, रुद्र (यक्षाधिपति) महोत्सव, शिवमहोत्सव, वैश्रमण (कुबेर) महोत्सव, मुकुन्द (कृष्ण) महोत्सव, नाग, यक्ष, भूत, कूप, तालाब, नदी, द्रह (कुण्ड) पर्वत, वृक्षारोपण, चैत्य और स्तूप महोत्सव होते हैं क्या ?
हे आयुष्मन् श्रमण ! वहाँ ये महोत्सव नहीं होते । वे मनुष्य महोत्सव की महिमा से रहित होते हैं।
हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में नटों का खेल होता है, नृत्यों का आयोजन होता है, डोरी पर खेलने वालों का खेल होता हैं, कुश्तियाँ होती हैं, मुष्टिप्रहारादि का प्रदर्शन होता है, विदूषकों, कथाकारों, उछलकूद करने वालों, शुभाशुभ फल कहने वालों, रास गाने वालों, बाँस पर चढ़कर नाचने वालों, चित्रफलक हाथ में लेकर माँगने वालों, तूणा (वाद्य) बजाने वालों, वीणावादकों, कावड़ लेकर घूमने वालों, स्तुतिपाठकों का मेला लगता है क्या ?
हे आयुष्मन् श्रमण ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। वे मनुष्य कौतूहल से रहित होते हैं।
हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में गाड़ी, रथ, यान (वाहन) युग्य (गोल्लदेशप्रसिद्ध) चतुष्कोण वेदिका वाली और दो पुरुषों द्वारा उठाई जाने वाली पालकी)गिल्ली, थिल्ली, पिपिल्ली, (लाटदेश प्रसिद्ध सावारी विशेष), प्रवहण (नौका-जहाज), शिबिका (पालखी), स्यन्दमानिका (छोटी पालखी) आदि वाहन हैं क्या ?
हे आयुष्मन् श्रमण ! वहाँ उक्त वाहन (सवारियाँ) नहीं हैं। वे मनुष्य पैदल चलने वाले होते है।
हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में घोड़ा, हाथी, ऊँट, बैल, भैंस-भैंसा, गधा, टट्ट, बकरा-बकरी और भेड़ होते हैं क्या ?
हाँ गौतम ! होते तो हैं परन्तु उन मनुष्यों के उपभोग के लिए नहीं होते।
हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में सिंह, व्याघ्र, भेडिया, चीता, रीछ, गेंडा, तरक्ष (तेंदुआ) बिल्ली, सियाल, कुत्ता, सूअर, लोमड़ी, खरगोश, चित्तल (चितकबरा पशुविशेष) और चिल्लक (पशुविशेष) हैं क्या ?
हे आयुष्मन् श्रमण ! वे पशु हैं परन्तु वे परस्पर या वहाँ के मनुष्यों को पीड़ा या बाधा नहीं देते हैं और उनके अवयवों का छेदन नहीं करते हैं क्योंकि वे श्वापद स्वभाव से भद्रिक होते हैं।
हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में शालि, व्रीहि, गेहूं, जौ, तिल और इक्षु होते हैं क्या ? हाँ गौतम ! होते हैं किन्तु उन पुरुषों के उपभोग में नहीं आते।
हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में गड्ढे, बिल, दरारें, भृगु (पर्वतशिखर आदि ऊँचे स्थान), अवपात (गिरने की संभावना वाले स्थान), विषमस्थान, कीचड, धूल, रज, पंक-कीचड, कादव और चलनी (पाँव में चिपकने वाला कीचड) आदि हैं क्या ?
हे आयुष्मन् श्रमण ! वहाँ ये गड्ढे आदि नहीं हैं। एकोरुक द्वीप का भू-भाग बहुत समतल और रमणीय है।
हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में स्थाणु (ढूंठ) काँटे, हीरक (तीखी लकड़ी का टुकडा) कंकर, तृण