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________________ ३१४ ] [जीवाजीवाभिगमसूत्र भगवन् ! एकोरुक द्वीप में असि-शस्त्र, मषि (लेखनादि) कृषि, पण्य (किराना आदि) और वाणिज्य-व्यापार है ? आयुष्मन् श्रमण ! ये वहाँ नहीं हैं। वे मनुष्य असि, मषि, कृषि-पण्य और वाणिज्य से रहित हैं। भगवन् ! एकोरुक द्वीप में हिरण्य (चांदी), स्वर्ण, कांसी, वस्त्र, मणि, मोती तथा विपुल धन सोना रत्न मणि, मोती शंख, शिलाप्रवाल आदि प्रधान द्रव्य हैं ? हाँ गौतम ! हैं, परन्तु उन मनुष्यों को उनमें तीव्र ममत्वभाव नहीं होता है। भगवन् ! एकोरुक द्वीप में राजा युवराज ईश्वर (भोगिक) तलवर (राजा द्वारा दिये गये स्वर्णपट्ट को धारण करने वाला अधिकारी) माडंविक (उजडी वसति का स्वामी) कौटुम्बिक इभ्य (धनिक) सेठ सेनापति सार्थवाह (अनेक व्यापारियों के साथ देशान्तर में व्यापार करने वाला प्रमुख व्यापारी) आदि हैं क्या ? आयुष्मन् श्रमण ! ये सब वहाँ नहीं हैं । वे मनुष्य ऋद्धि और सत्कार के व्यवहार से रहित हैं अर्थात् वहाँ सब बराबर हैं, विषमता नहीं है। हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में दास, प्रेष्य (नौकर), शिष्य, वेतनभोगी भृत्य, भागीदार, कर्मचारी हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! ये सब वहाँ नहीं हैं। वहाँ नौकर कर्मचारी नहीं हैं। हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में माता, पिता, भाई, बहिन, भार्या, पुत्र, पुत्री और पुत्रवधू हैं क्या ? हाँ गौतम ! हैं परन्तु उनका माता-पितादि में तीव्र प्रेमबन्धन नहीं होता है। वे मनुष्य अल्परागबन्धन वाले हैं। ___हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में अरि, बैरी, घातक, वधक, प्रत्यनीक (विरोधी), प्रत्यमित्र (पहले मित्र रहकर अमित्र हुआ व्यक्ति या दुश्मन का सहायक) हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! ये सब वहाँ नहीं हैं। वे मनुष्य वैरभाव से रहित होते हैं। हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में मित्र, वयस्य, प्रेमी, सखा, सुहृद, महाभाग और सांगतिक (साथी) हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! नहीं हैं। वे मनुष्य प्रेमानुबन्ध रहित हैं। हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में आबाह (सगाई,) विवाह (परिणय), यज्ञ, श्राद्ध, स्थालीपाक (वरवधू भोज), चोलोपनयन (शिखाधारण संस्कार), सीमन्तोन्नयन (बाल उतारने का संस्कार), पितरों को पिण्डदान आदि संस्कार हैं क्या ? __हे आयुष्मन् श्रमण ! ये संस्कार वहाँ नहीं हैं। वे मनुष्य आबाह-विवाह, यज्ञ-श्राद्ध, भोज, चोलोपनयन सीमन्तोन्नयन पितृ-पिण्डदान आदि व्यवहार से रहित हैं।
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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