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[जीवाजीवाभिगमसूत्र
मस्तक छत्र के समान उन्नत होता है। उनके बाल धुंघराले स्निग्ध और लम्बे होते हैं । वे निम्नलिखित बत्तीस लक्षणों को धारण करने वाली हैं
१ छत्र, २ ध्वज, ३ युग (जुआ), ४ स्तूप, ५ दामिनी (पुष्पमाला), ६ कमण्डलु, ७ कलश, ८ वापी (बावडी), ९ स्वस्तिक, १० पताका, ११ यव, १२ मत्स्य, १३ कुम्भ, १४ श्रेष्ठरथ, १५ मकर, १६ शुकस्थाल (तोते को चुगाने का पात्र), १७ अंकुश, १८ अष्टापदवीचिबूतफलक, १९ सुप्रतिष्ठक स्थापनक, २० मयूर, २१ श्रीदाम (मालाकार आभरण), २२ अभिषेक-लक्ष्मी का अभिषेक करते हुए हाथियों का चिन्ह, २३ तोरण, २४ मेदिनीपति-राजा, २५ समुद्र, २६ भवन, २७ प्रासाद, २८ दर्पण, २९ मनोज्ञ हाथी, ३० बैल, ३१ सिंह और ३२ चमर।
वे एकोरुक द्वीप की स्त्रियां हंस के समान चाल वाली हैं। कोयल के समान मधुर वाणी और स्वर वाली, कमनीय और सबको प्रिय लगने वाली होती हैं। उनके शरीर में झुर्रियां नहीं पड़ती और बाल सफेद नहीं होते। वे व्यंग्य (विकृति), वर्णविकार, व्याधि, दौर्भाग्य और शोक से मुक्त होती हैं। वे ऊँचाईं में पुरुषों की अपेक्षा कुछ कम ऊँची होती हैं। वे स्वाभाविक शृंगार और श्रेष्ठ वेश वाली होती हैं। वे सुन्दर चाल, हास, बोलचाल, चेष्टा, विलास, संलाप में चतुर तथा योग्य उपचार-व्यवहार में कुशल होती हैं। उनके स्तन, जघन, मुख, हाथ, पाँव और नेत्र बहुत सुन्दर होते हैं । वे सुन्दर वर्ण वाली, लावण्य वाली, यौवन वाली और विलासयुक्त होती हैं। नंदनवन में विचरण करने वाली अप्सराओं की तरह वे आश्चर्य से दर्शनीय हैं । वे स्त्रियां देखने पर प्रसन्नता उत्पन्न करती हैं, वे दर्शनीय हैं, अभिरूप हैं और प्रतिरूप हैं।
हे भगवन् ! उन स्त्रियों को कितने काल के अन्तर से आहार की अभिलाषा होती है ? गौतम ! चतुर्थभक्त अर्थात् एक दिन छोड़कर दूसरे दिन आहार की इच्छा होती है। १११. (१५) ते णं भंते ! मणुया किमाहारमाहारेंति ? गोयमा ! पुढविपुष्फफलाहारा ते मणुयगणा पण्णत्ता, समणाउसो ! तीसे णं भंते ! पुढवीए केरिसए आसाए पण्णत्ते ?
गोयमा ! से जहाणामए गुलेइ वा खंडेइ वा सक्कराइ वा मच्छंडियाइ वा भिसकंदेइ वा पप्पडमोयएइवा, पुष्फउत्तराइ वा, पउमउत्तराइ वा, अकोसियाइवा, विजयाइवा, महाविजयाइ वा,आयंसोवमाइवा, अणोवमाइ वा, चाउरक्के गोखीरे चउठाणपरिणए गुडखंडमच्छंडि उवणीए . मंदग्गिकडीए वण्णेणं उववेए जाव फासेणं, भवेयारूवे सिया ?
णो इण→ समढे ! तीसे णं पुढवीए एत्तो इट्ठतराए चेव मणामतराए चेव आसाए णं पण्णत्ते।
तेसिं णं पुष्फफलाणं केरिसए आसाए पण्णत्ते ?
गोयमा ! से जहानामए चाउरंतचक्कवट्टिस्स कल्लाणे पवरभोयणे सयसहस्सनिप्फन्ने वण्णेणं उववेते गंधेणं उववेते रसेण उववेते फासेणं उववेते आसाइणिज्जे वीसाइणिज्जे दीवणिज्जे विंहणिजे दप्पणिज्जे मयणिज्जे सव्विंदियगायपल्हाणिज्जे भवेयारूवे सिया ?