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________________ द्वितीय प्रतिपत्ति : नवविध अल्पबहुत्व] [१८७ उनसे तिर्यक्योनिकस्त्रियां संख्यातगुणी, उनसे देवपुरुष असंख्यातगुण, उनसे देवस्त्रियां संख्यातगुण, उनसे तिर्यक्योनिक नपुंसक अनन्तगुण हैं। (६) हे भगवन् ! इन तिर्यक्योनिकस्त्रियों-जलचरी, स्थलचरी, खेचरी, तिर्यक्योनिकपुरुष-जलचर, स्थलचर, खेचर, तिर्यंचयोनिक नपुंसक एकेन्द्रिय ति. यो. नपुंसक, पृथ्वीकायिक एके.ति. यो. नपुंसक यावत् वनस्पतिकायिक एके. ति. यो. नपुंसक, द्वीन्द्रिय ति. यो. नपुंसक, त्रीन्द्रिय ति. यो. नपुंसक, चतुरिन्द्रिय ति. . यो. नपुंसक, पंचेन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक, जलचर, स्थलचर और खेचर नपुंसकों में कौन किससे कम, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े खेचर तिर्यक्योनिकपुरुष, उनसे खेचर तिर्यक्योनिकस्त्रियां संख्यातगुणी, उनसे स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यक्योनिकपुरुष संख्यातगुण, उनसे स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यक्योनिकस्त्रियां संख्यातगुणी, उनसे जलचर तिर्यक्योनिक पुरुष संख्यातगुण, उनसे जलचर तिर्यक्योनिक स्त्रियां संख्यातगुणी, उनसे खेचर पंचे. तिर्यक्योनिक नपुंसक असंख्यातगुण, उनसे स्थलचर पंचे. तिर्यक्योनिक नपुंसक संख्यातगुण, उनसे जलचर पंचे. तिर्यक्योनिक नपुंसक संख्यातगुण, उनसे चतुरिन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक विशेषाधिक, उनसे त्रीन्द्रिय ति. यो. नपुंसक विशेषाधिक, उनसे द्वीन्द्रिय ति. यो. नपुंसक विशेषाधिक, उनसे तेजस्कायिक एकेन्द्रिय ति. यो. नपुंसक असंख्यातगुण, उनसे पृथ्वीकायिक एके. ति. यो. नपुसंक विशेषाधिक, उनसे अप्कायिक एके. ति. यो. नपुंसक विशेषाधिक, उनसे वायुकायिक एके. ति. यो. नपुंसक विशेषाधिक, उनसे वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक अनन्तगुण हैं। [७] हे भगवन् ! इन मनुष्यस्त्रियों में कर्मभूमिक स्त्रियों, अकर्मभूमिक स्त्रियों और अन्तीपिक मनुष्यस्त्रियों में, मनुष्यपुरुषों-कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक और अन्तर्वीपकों में, मनुष्य नपुंसक-कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक और अन्तर्वीपिक नपुंसकों में कौन किससे कम, अधिक, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? गौतम ! अन्तर्वीपिक मनुष्यस्त्रियां और मनुष्यपुरुष-ये दोनों परस्पर तुल्य और सबसे थोड़े हैं,
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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