SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 212
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्वितीय प्रतिपत्ति: नपुंसक निरूपण] [१६३ [५९] भंते ! नपुंसक क्या हैं-कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! नपुंसक तीन प्रकार के हैं, यथा-१ नैरयिक नपुंसक, २ तिर्यक्योनिक नपुंसक और ३ मनुष्ययोनिक नपुंसक। नैरयिक नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? नैरयिक नपुंसक सात प्रकार के हैं, यथा-रत्नप्रभापृथ्वी नैरयिक नपुंसक, शर्कराप्रभापृथ्वी नैरयिक यावत् अधःसप्तमपृथ्वी नैरयिक नपुंसक। तिर्यंचयोनिक नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? तिर्यंचयोनिक नपुंसक पांच प्रकार के हैं, यथा-एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक, द्वीन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक, त्रीन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक, चतुरिन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक और पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक। एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक पांच प्रकार के हैं, यथापृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक यावत् वनस्पतिकायिक तिर्यंचयोनिक नपुंसक। यह एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक का अधिकार हुआ। भंते ! द्वीन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! अनेक प्रकार के हैं। यह द्वीन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक का अधिकार हुआ। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय का कथन करना। पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? वे तीन प्रकार के हैं-जलचर, स्थलचर और खेचर। जलचर कितने प्रकार के हैं ? वही पूर्वोक्त भेद आसालिक को छोड़कर कहने चाहिए। ये पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक का अधिकार हुआ। भंते ! मनुष्य नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? वे तीन प्रकार के हैं, यथा-कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक और अन्तर्वीपिक पूर्वोक्त भेद कहने चाहिए। विवेचन-पुरुष सम्बन्धी वर्णन पूरा करने के पश्चात् शेष रहे नपुंसक के सम्बन्ध में यहाँ भेद-प्रभेद सहित निरूपण किया गया है। नपुंसक के तीन भेद गति की अपेक्षा हैं-नारकनपुंसक, तिर्यंचनपुंसक और मनुष्यनपुंसक। देव नपुंसक नहीं होते। नारक नपुंसकों के नारकपृथ्वियों की अपेक्षा से सात भेद बताये हैं१. रत्नप्रभापृथ्वीनारक नपुंसक, २. शर्कराप्रभापृथ्वीनारक नपुंसक, ३. बालुकाप्रभापृथ्वीनारक नपुंसक, ४. पंकप्रभापृथ्वीनारक नपुंसक, ५. धूमप्रभापृथ्वीनारक नपुंसक, ६. तमःप्रभापृथ्वीनारक नपुंसक और ७. अधःसप्तमपृथ्वीनारक नपुंसक । तिर्यंचयोनिक नपुंसक के जाति की अपेक्षा से पांच भेद बताये हैं-एकेन्द्रियजाति नपुंसक, द्वीन्द्रियजाति
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy