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द्वितीय प्रतिपत्ति: अल्पबहुत्व ]
वाणमंतर देवपुरिसा संखेज्जगुणा, जोतिसियदेवपुरिसा संखेज्जगुणा ।
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[५६] स्त्रियों का जैसा अल्पबहुत्व कहा यावत् हे भगवन् ! देव पुरुष - भवनपति, वानव्यंतर, ज्योतिष्क और वैमानिक में कौन किससे अल्प, अधिक, तुल्य या विशेषाधिक हैं ?
गौतम ! सबसे थोड़े वैमानिक देवपुरुष, उनसे भवनपति देवपुरुष असंख्येयगुण, उनसे वानव्यन्तर देवपुरुष असंख्येय गुण, उनसे ज्योतिष्क देवपुरुष संख्येयगुणा हैं ।
हे भगवन् ! इन तिर्यंचयोनिक पुरुषों - जलयर, स्थलचर, और खेचर; मनुष्य पुरुषों - कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक, अन्तद्वीपकों में; देवपुरुषों - भवनवासी, वानव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिकों - सौधर्म देवलोक यावत् सर्वार्थसिद्ध देवपुरुषों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ?
गौतम ! सबसे थोड़े अन्तद्वीपों के मनुष्यपुरुष, उनसे देवकुरु उत्तरकुरु अकर्मभूमिक मनुष्यपुरुष दोनों संख्यातगुण, उनसे हरिवास रम्यकवास अकर्मभूमिक मनुष्यपुरुष दोनों संख्यातगुण, उनसे हेमवत हैरण्यवत अकर्मभूमिक मनुष्यपुरुष दोनों संख्यातगुण, उनसे भरत ऐरवतवास कर्मभूमि के मनुष्यपुरुष दोनों संख्यातगुण, उनसे पूर्वविदेह अपरविदेह कर्मभूमिक मनुष्यपुरुष दोनों संख्यातगुण, उनसे अनुत्तरोपपातिक देवपुरुष असंख्यातगुण, उनसे उपरिम ग्रैवेयक देवपुरुष संख्यातगुण, उनसे मध्यम ग्रैवेयक देवपुरुष संख्यातगुण, उनसे अधस्तन ग्रैवेयक देवपुरुष संख्यातगुण, उनसे अच्युतकल्प के देवपुरुष संख्यातगुण, उनसे यावत् आनतकल्प के देवपुरुष संख्यातगुण, उनसे सहस्रारकल्प के देवपुरुष असंख्यातगुण, उनसे महाशुक्रकल्प के देवपुरुष असंख्यातगुण, उनसे यावत् महेन्द्रकल्प के देवपुरुष असंख्यातगुण, उनसे सनत्कुमारकल्प के देवपुरुष असंख्यातगुण, उनसे ईशानकल्प के देवपुरुष असंख्यातगुण, उनसे सौधर्मकल्प के देवपुरुष संख्यातगुण, उनसे भवनवासी देवपुरुष असंख्यातगुण, उनसे खेचर तिर्यंचयोनिक पुरुष असंख्यातगुण, उनसे स्थलचर तिर्यंचयोनिक पुरुष संख्येयगुण, उनसे जलचर तिर्यंचयोनिक पुरुष असंखेयगुण, उनसे वाणव्यन्तर देवपुरुष संखेयगुण, उनसे ज्योतिषी देवपुरुष संखेयगुण हैं।
विवेचन - सामान्य स्त्री - प्रकरण में स्त्रियों के अल्पबहुत्व का कथन जिस प्रकार किया गया है, उसी प्रकार से सामान्य पुरुषों का अल्पबहुत्व कहना चाहिए । यहाँ पर अल्पबहुत्व का प्रकरण यावत् देवपुरुषों के अल्पबहुत्व प्रकरण से पहले पहले का गृहीत हुआ है। यहाँ पांच प्रकार से अल्पबहुत्व बताया है। जिसमें पहला सामान्य से तिर्यंच, मनुष्य और देव पुरुषों को लेकर, दूसरा तिर्यंचयोनिक, जलचर, स्थलचर, खेचर पुरुषों को लेकर, तीसरा कर्मभूमिक आदि तीन प्रकार के मनुष्यों को लेकर, चौथा चार प्रकार के देवों को लेकर और पांचवां सबको मिश्रित करके अल्पबहुत्व बताया है । .
आदि के तीन अल्पबहुत्व तो जैसे इनकी स्त्रियों को लेकर कहे हैं वैसे ही यहाँ पुरुषों को लेकर कहना चाहिए। इन तीन अल्पबहुत्वों का यहाँ 'यावत' पद से ग्रहण किया है। वह स्त्रीप्रकरण के अल्पबहुत्व में देख लेना चाहिए। अन्तर केवल यह कि 'स्त्री' की जगह 'पुरुष' पद का प्रयोग करना चाहिए ।