________________
[जीवाजीवाभिगमसूत्र
गौतम ! तीन शरीर होते हैं- औदारिक, तैजस और कार्मण । ( इस प्रकार द्वार - वक्तव्यता कहनी
चाहिए ।)
९८]
यह सम्मूर्छित मनुष्यों का कथन हुआ ।
गर्भज मनुष्यों का क्या स्वरूप है ?
गौतम ! गर्भज मनुष्य तीन प्रकार के कहे गये हैं, यथा- कर्मभूमिज, अकर्मभूमिज और अन्तद्वज । इस प्रकार मनुष्यों के भेद प्रज्ञापनासूत्र के अनुसार कहने चाहिए और पूरी वक्तव्यता यावत् छद्मस्थ और केवली पर्यन्त ।
ये मनुष्य संक्षेप से पर्याप्त और अपर्याप्त रूप से दो प्रकार के हैं ।
भंते ! उन जीवों के कितने शरीर कहे गये हैं ?
गौतम ! पांच शरीर कहे गये हैं- औदारिक यावत् कार्मण। उनकी शरीरावगाहना जघन्य से अंगुल का असंख्यातवाँ भाग और उत्कृष्ट से तीन कोस की है। उनके छह संहनन और छह संस्थान होते हैं।
भंते ! वे जीव, क्या क्रोधकषाय वाले यावत् लोभकषाय वाले या अकषाय होते हैं ? गौतम ! सब तरह के हैं ।
भगवन् ! वे जीव क्या आहारसंज्ञा यावत् लोभसंज्ञा वाले या नोसंज्ञा वाले हैं ?
गौतम ! सब तरह के हैं ।
भगवन् ! वे जीव कृष्णलेश्या वाले यावत् शुक्ललेश्या वाले या अलेश्या वाले हैं ?' गौतम ! सब तरह के हैं।
वे श्रोत्रेन्द्रिय उपयोग वाले यावत् स्पर्शनेन्द्रिय उपयोग और नोइन्द्रिय उपयोग वाले हैं। उनमें सब समुद्घात पाये जाते हैं, यथा-वेदनासमुद्घात यावत् केवलीसमुद्घात । वे संज्ञी भी हैं, नोसंज्ञी - असंज्ञी भी हैं।
वे स्त्रीवेद वाले भी हैं, पुंवेद, नपुंसकवेद वाले भी हैं और अवेदी भी हैं।
इनमें पांच पर्याप्तियां और पांच अपर्याप्तियां होती हैं। (भाषा और मन को एक मानने की अपेक्षा) । तीनों दृष्टियाँ पाई जाती हैं। चार दर्शन पाये जाते हैं। ये ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी हैं। जो
ज्ञानी हैं - वे कोई दो ज्ञान वाले, कोई तीन ज्ञान वाले, कोई चार ज्ञान वाले और कोई एक ज्ञान वाले होते हैं। जो दो ज्ञान वाले हैं, वे नियम से मतिज्ञानी, श्रुतज्ञानी हैं, जो तीन ज्ञान वाले हैं, वे मतिज्ञानी, श्रुतज्ञानी, अवधिज्ञानी हैं अथवा मतिज्ञानी, श्रुतज्ञानी और मनः पर्यवज्ञान वाले हैं। जो चार ज्ञान वाले हैं वे नियम से मतिज्ञानी, श्रुतज्ञानी, अवधिज्ञानी और मनः पर्यवज्ञान वाले हैं। जो एक ज्ञान वाले हैं वे नियम से केवलज्ञान वाले हैं।
इसी प्रकार जो अज्ञानी हैं वे दो अज्ञान वाले या तीन अज्ञान वाले हैं।
वे मनयोगी, वचनयोगी, काययोगी और अयोगी भी हैं ।
उनमें दोनों प्रकार का - साकार - अनाकार उपयोग होता है।