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________________ ६२६ ] [ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र ५. एवं आउकाइया वि चउक्कएणं भेएण णेयव्वा । [५] इसी प्रकार अप्कायिक जीवों के चार भेद जानने चाहिए। ६. एवं जाव वणस्सतिकाइया । [६] इसी प्रकार वनस्पतिकायिक जीव पर्यन्त जानना । विवेचन — एकेन्द्रिय जीवों का परिवार — प्रस्तुत ६ सूत्रों (१ से ६ तक) में एकेन्द्रिय जीवों के मुख्य ५ भेद बताकर, फिर पृथ्वीकायिक आदि पांचों के प्रत्येक के सूक्ष्म, बादर, पर्याप्त और अपर्याप्त के भेद से चार-चार भेद बताए हैं। इस प्रकार पांचों प्रकार के एकेन्द्रिय जीवों के कुल ५x४ = २० भेद हुए । पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और वनस्पति, इन पांचों एकेन्द्रिय जीवों में जीवत्व (आत्मा) की सिद्धि आगम, वृत्ति एवं जीवविज्ञान से सिद्ध है । एकेन्द्रिय जीवों की कर्मप्रकृतियाँ, उनके बन्ध और वेदन का निरूपण ७. अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ पन्नताओ। गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ, तं जहा - नाणावरणिजं जाव अंतरायियं । [७ प्र.] भगवन् ! अपर्याप्तसूक्ष्मपृथ्वीकायिक जीवों के कितनी कर्मप्रकृतियाँ कही हैं ? [७ उ.] गौतम ! उनके आठ कर्मप्रकृतियाँ कही हैं, यथा— ज्ञानावरणीय यावत् अन्तरायकर्म । ८. पज्जत्तासुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ, तं जहा— नाणावरणिज्जं जाव अंतरायियं । [८ प्र.] भगवन् ! पर्याप्तसूक्ष्मपृथ्वीकायिक जीवों के कितनी कर्मप्रकृतियाँ कही हैं ? [८ उ.] गौतम ! उनके आठ कर्म - प्रकृतियाँ कही हैं, यथा— ज्ञानावरणीय यावत् अन्तरायकर्म । ९. अपज्जत्ताबायरपुढविकायियाणं भंते! कति कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ ? एवं चेव । [९ प्र.] भगवन् ! पर्याप्तबादरपृथ्वीकायिक जीवों के कितनी कर्मप्रकृतियाँ कही हैं ? [९ उ.] गौतम ! उनके भी पूर्ववत् आठ कर्मप्रकृतियाँ हैं । १०. पज्जत्ताबायरपुढविकायियाणं भंते! कति कम्मप्पगडीओ० ? एवं चेव । [१० प्र.] भगवन् ! पर्याप्तबादरपृथ्वीकायिक जीवों के कितनी कर्मप्रकृतियाँ कही हैं ? [१० उ.] गौतम ! उनके भी पूर्ववत् आठ कर्मप्रकृतियाँ हैं । ११. एवं एएणं कमेणं जाव बायरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तगाणं ति ।
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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