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________________ तेतीसवाँ शतक : उद्देशक-१] [६२७ ___ [११] इसी प्रकार इसी क्रम से (अपर्याप्तसूक्ष्मअप्कायिक से लेकर) यावत् पर्याप्तबादर वनस्पतिकायिक जीवों की कर्म प्रकृतियों का कथन करना चाहिए। १२. अपजत्तासुहुमपुढविकायिया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ बंधंति ? गोयमा ! सत्तविहबंधगा वि, अट्ठविहबंधगा वि। सत्त बंधमाणा आउयवजओ सत्त कम्मप्पगडीओ बंधंति। अट्ठ बंधमाणा पडिपुण्णाओ अट्ट कम्मप्पगडीओ बंधंति। [१२ प्र.] भगवन् ! अपर्याप्तसूक्ष्मपृथ्वीकायिक जीव कितनी कर्मप्रकृतियाँ बांधते हैं ? [१२ उ.] गौतम ! वे सात कर्मप्रकृतियाँ भी बांधते हैं और आठ भी बांधते हैं। सात बांधते हुए आयुकर्म को छोड़कर शेष सात कर्मप्रकृतियाँ बांधते हैं तथा आठ बांधते हुए सम्पूर्ण आठ कर्मप्रकृतियाँ बांधते १३. पजत्तासुहुमपुढविकायिया णं भंते ! कति कम्म० ? एवं चेव। • [१३ प्र.] भगवन् ! पर्याप्तसूक्ष्मपृथ्वीकायिक कितनी कर्मप्रकृतियाँ बांधते हैं ? [१३ उ.] गौतम ! (ये भी) पूर्ववत् (सात या आठ कर्मप्रकृतियाँ बांधते हैं।) १४. एवं सव्वे जाव—पज्जत्ताबायरवणस्सतिकायिया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ बंधंति ? एवं चेव। [१४ प्र.] भगवन् ! इसी प्रकार शेष सभी (भेद-प्रभेद सहित एकेन्द्रिय जीव) पर्याप्तबादरवनस्पतिकायिक जीव पर्यन्त कितनी कर्मप्रकृतियाँ बांधते हैं ? [१४ उ.] गौतम ! (ये सभी पर्याप्तबादरवनस्पतिकायिक पर्यन्त) पूर्ववत् (सात या आठ कर्मप्रकृतियाँ बांधते हैं।) १५. अपजत्तासुहमपुढविकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ वेदेति ? गोयमा ! चोद्दस कम्मप्पगडीओ वेदेति, तं जहा—नाणावरणिजंजाव अंतराइयं, सोतिदियवझं चक्खिदियवझं घाणिंदियवझं जिब्भिंदियवझं इत्थिवेदवझं पुरिसवेदवझं। [१५ प्र.] भगवन् ! अपर्याप्तसूक्ष्मपृथ्वीकायिक जीव कितनी कर्मप्रकृतियों को वेदते (भोगते) हैं ? [१५ उ.] गौतम ! वे चौदह कर्मप्रकृतियाँ वेदते (भोगते) हैं, यथा—(१-८) ज्ञानावरणीय यावत् अन्तरायकर्म, (९) श्रोत्रेन्द्रियवध्य (श्रोत्रीन्द्रयावरण), (१०) चक्षुरिन्द्रियावरण, (११) घ्राणेन्द्रियावरण, (१२) जिह्वेन्द्रियावरण, (१३) स्त्रीवेदावरण और (१४) पुरुषवेदावरण। १६. एवं चउक्काएणं भेएणं जाव—पज्जत्ताबायरवणस्सतिकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ वेदेति ?
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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