SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 756
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [६२५ तेत्तीसइमं सयं : बारस एगिदियसयाणि तेतीसवां शतक : बारह एकेन्द्रियशतक पढमे एगिदियसए : पढमो उद्देसओ प्रथम एकेन्द्रियशतक : प्रथम उद्देशक एकेन्द्रिय जीवों के भेद-प्रभेदों का निरूपण १. कतिविधा णं भंते ! एगिंदिया पन्नत्ता ? गोयमा ! पंचविहा एगिंदिया पन्नत्ता, तं जहा—पुढविकाइया जाव वणस्सतिकाइया। [१ प्र.] भगवन् ! एकेन्द्रिय जीव कितने प्रकार के कहे हैं ? [१ उ.] गौतम ! एकेन्द्रिय जीव पांच प्रकार के कहे हैं । यथा—पृथ्वीकायिक यावत् वनस्पतिकायिक। २. पढविकाइया णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता ? गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता तं जहा—सुहुमपुढविकायिया य, बायरपुढविकाइया य। [२ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव कितने प्रकार के कहे हैं ? [२ उ.] गौतम ! वे दो प्रकार के कहे हैं, यथा—सूक्ष्मपृथ्वीकायिक और बादरपृथ्वीकायिक। ३. सुहमपुढविकाइया णं भंते ! कतिविहा पत्नत्ता ? गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा—पजत्ता सुहमपुढविकाइया य, अपजत्ता सुहमपुढविकाइया य। [३ प्र.] भगवन् ! सूक्ष्मपृथ्वीकायिक जीव कितने प्रकार के कहे हैं ? । [३ उ.] गौतम ! वे दो प्रकार के कहे हैं, यथा-पर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकायिक और अपर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकायिक। ४. बायरपुढविकाइया णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता? एवं चेव। [४ प्र.] भगवन् ! बादरपृथ्वीकायिक जीव कितने प्रकार के कहे हैं ? [४ उ.] गौतम ! वे भी पूर्ववत् दो प्रकार के हैं।
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy