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________________ पच्चीसवाँ शतक : उद्देशक-६] [४२७. अवस्था की प्राप्ति-पर्यन्त विचरण करता है और शैलेषी अवस्था में वह वर्द्धमानपरिणामी हो जाता है।' इक्कीसवाँ द्वार : पंचविध निर्ग्रन्थों में कर्मप्रकृति-बंध-प्ररूपणा १५१. पुलाए णं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ बंधति ? गोयमा ! आउयवज़ाओ सत्त कम्मप्पगडीओ बंधति। [१५१ प्र.] भगवन् ! पुलाक कितनी कर्मप्रकृतियाँ बांधता है ? [१५१ उ.] गौतम ! वह आयुष्यकर्म को छोड़कर सात कर्मप्रकृतियाँ बांधता है। १५२.बउसे० पुच्छा। गोयमा ! सत्तविहबंधए वा, अट्टविहबंधए वा।सत्त बंधमाणे आउयवजाओ सत्त कम्मप्पगडीओ बंधति, अट्ठ बंधमाणे पडिपुण्णाओ अट्ठ कम्मप्पगडीओ बंधति। [१५२ प्र.] भगवन् ! बकुश कितनी कर्म प्रकृतियाँ बांधता है ? [१५२ उ.] गौतम ! वह सात अथवा आठ कर्मप्रकृतियाँ बांधता है । यदि सात कर्मप्रकृतियाँ बांधता है, तो आयुष्य को छोड़कर शेष सात कर्मप्रकृतियाँ बांधता है और यदि आयुष्यकर्म बांधता है तो सम्पूर्ण आठ कर्मप्रकृतियों को बांधता है। १५३. एवं पडिसेवणाकुसीले वि। [१५३] इसी प्रकार प्रतिसेवनाकुशील के विषय में भी समझना चाहिए। १५४. कसायकुसीले० पुच्छा। गोयमा ! सत्तविहबंधए वा, अट्ठविहबंधए वा, छव्विहबंधए वा। सत्त बंधमाणे आउयवजाओ सत्त कम्मप्पगडीओ बंधति, अट्ठ बंधमाणे पडिपुण्णाओ अट्ठ कम्मप्पगडीओ बंधति, छ बंधमाणे आउयमोहणिज्जवजाओ छ कम्मप्पगडीओ बंधति। [१५४ प्र.] भगवन् ! कषायकुशील कितनी कर्मप्रकृतियाँ बांधता है ? [१५४ उ.] गौतम ! वह सात, आठ या छह कर्मप्रकृतियाँ बांधता है। सात बांधता हुआ आयुष्य के अतिरिक्त शेष सात कर्मप्रकृतियाँ बांधता है ।आठ बांधता हुआ (आयुष्यकर्मसहित) परिपूर्ण आठ कर्मप्रकृतियाँ बांधता है और छह बांधता हुआ आयुष्य और मोहनीय कर्म को छोड़कर शेष छह कर्मप्रकृतियाँ बांधता है। १५५. नियंठे० पुच्छा। गोयमा ! एगं वेदणिजं कम्मं बंधति। [१५५ प्र.] भगवन् ! निर्ग्रन्थ कितनी कर्मप्रकृतियाँ बांधता है ? १. (क) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ९०२-९०३ (ख) श्रीमद्भगवतीसूत्रम् चतुर्थखण्ड (गुजराती अनुवाद), प २५३...
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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