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पच्चीसवाँ शतक : उद्देशक-४]
[३६७ गोयमा ! देसेया वि, सव्वेया वि, निरेया वि। [२१५ प्र.] भगवन् ! (बहुत) द्विप्रदेशी-स्कन्ध देशकम्पक हैं, सर्वकम्पक हैं या निष्कम्पक हैं ? [२१५ उ.] गौतम ! वे देशकम्पक भी हैं, सर्वकम्पक भी हैं और निष्कम्पक भी हैं। २१६. एवं जाव अणंतपएसिया।
[२१६] इसी प्रकार यावत् (बहुत) अनन्त-प्रदेशी स्कन्धों (की देशकम्पकता आदि) के विषय में जानना चाहिए।
. विवेचन–परमाणु-पुद्गल (एक हो या बहुत) देशकम्पक नहीं होते, परन्तु द्विप्रदेशी स्कन्ध से लेकर अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध कदाचित् देशकम्पक, कदाचित् सर्वकम्पक और कदाचित् निष्कम्पक भी होते हैं। परमाणु से अनन्त-प्रदेशी देशकम्प-सर्वकम्प-निष्कम्प स्कन्धों की स्थिति एवं कालान्तर की प्ररूपणा
२१७. परमाणुपोग्गले णं भंते ! सव्वेए कालओ केवचिरं होति ? गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेजइभागं। [२१७ प्र.] भगवन् ! (एक) परमाणु पुद्गल सर्वकम्पक कितने काल तक रहता है ?
[२१७ उ.] गौतम ! वह जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यातवें भाग तक (सर्वकम्पक रहता है।)
२१८. निरेये कालओ केवचिरं होति ? गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेनं कालं। [२१८. प्र.] भगवन् ! (एक) परमाणु-पुद्गल निष्कम्पक कितने काल तक रहता है। [२१८ उ.] गौतम ! वह जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल तक निष्कम्प रहता है। २१९. दुपएसिए णं भंते ! खंधे देसेए कालओ केवचिरं होति ? गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेजइभागं। [२१९ प्र.] भगवन् ! द्विप्रदेशी-स्कन्ध देशकम्पक कितने काल तक रहता है ?
[२१९ उ.] गौतम ! जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यातवें भाग तक देशकम्पक रहता है।
२२०. सव्वेए कालओ केवचिरं होति ? जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेजइभागं। [२२० प्र.] भगवन् ! (द्वि-प्रदेशी स्कन्ध) सर्वकम्पक कितने काल तक रहता है ? [२२० उ.] वह जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यातवें भाग तक सर्वकम्पक रहता है।