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________________ ३४२] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र अंश गतिक्रिया-सहित हैं, वह सकम्प है। इस कारण वह देशतः सकम्प कहा गया है। विग्रहगति को प्राप्त जो जीव अर्थात् मर कर अन्त गति में (उत्पत्तिस्थान को) जाता हुआ जीव—गेंद की गति के समान सर्वप्रदेशों से उत्पन्न होता है, वह सर्वतः सकम्प होता है। जो जीव विग्रहगति को प्राप्त नहीं हैं, वे दो प्रकार के हैं, यथा— ऋजुगति वाले और अवस्थित । यहाँ केवल अवस्थित ही ग्रहण किये हैं, ऐसा सम्भावित है। शरीर में रहते हुए मरणसमुद्घात करके ईलिकागति से उत्पत्ति-क्षेत्र को अंशत: स्पर्श करते हैं, इसलिए वे देशतः कम्पक होते हैं। अथवा स्वक्षेत्र में रहे हुए जीव अपने हाथ-पैर आदि अवयवों को इधरउधर चलाते हैं, इस कारण वे देशत: सकम्पक हैं। कठिन शब्दार्थ—सेय–चलन-कम्पन के सहित—सैज। निरेय निश्चल—निष्कम्प। परमाणु-पुद्गलों से अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक की अनन्तता ८७. परमाणुपोग्गला णं भंते ! किं संखेजा, असंखेजा, अणंता ? गोयमा ! नो संखेजा, नो असंखेजा, अणंता। [८७ प्र.] भगवन् ! परमाणु-पुद्गल संख्यात हैं, असंख्यात हैं अथवा अनन्त हैं ? [८७ उ.] गौतम ! संख्यात नहीं, असंख्यात भी नहीं, किन्तु अनन्त हैं। ८८. एवं जाव अणंतपदेसिया खंधा। [८८] इसी प्रकार यावत् अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक जानना। एक प्रदेशावगाढ़ से असंख्येय प्रदेशावगाढ़ पुद्गलों की अनन्तता ८९. एगपएसोगाढा णं भंते ! पोग्गला किं संखेजा, असंखेजा, अणंता ? एवं चेव। [८९ प्र.] भगवन् ! आकाश के एक प्रदेश में रहे हुए पुद्गल संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त हैं ? [८९ उ.] गौतम ! पूर्ववत् (अनन्त) हैं। ९०. एवं जाव असंखेजपदेसोगाढा। [९०] इसी प्रकार यावत् असंख्येय प्रदेशों में रहे हुए पुद्गलों तक जानना चाहिए। एक समय से लेकर असंख्यात समय की स्थिति वाले पुद्गलों की अनन्तता ९१. एगसमयद्वितीया णं भंते ! पोग्गला किं संखेज्जा, असंखेज्जा० ? एवं चेव। [९१ प्र.] भगवन् ! एक समय की स्थिति वाले पुद्गल संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त हैं ? [९१ उ.] गौतम ! पूर्ववत् जानना। १. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ८७७
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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