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[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र पांच संस्थानों में प्रदेशतः अवगाहना-निरूपण
३७. वट्टे णं भंते ! संठाणे कतिपएसिए, कतिपएसोगाढे पन्नत्ते ?
गोयमा ! वट्टे संठाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा—घणवट्टे य, पयरवट्टे य तत्थ णं जे से पयरवट्टे से दुविधे पन्नत्ते, तं जहा—ओयपएसिए य, जुम्मपएसिए या तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं पंचपएसिए, पंचपएसोगाढे; उक्कोसेणं अणंतपएसिए, असंखेजपएसोगाढे। तत्थ णं जे जुम्मपएसिए से जहन्नेणं बारसपएसिए, बारसपएसोगाढे; उक्कोसेणं अणंतपएसिए, असंखेजपदेसोगाढे। तत्थ णं जे से घणवट्टे से दुविहे पन्नत्ते, तं जहा—ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य। तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं सत्तपएसिए, सत्तपएसोगाढे पन्नत्ते; उक्कोसेणं अणंतपएसिए, असंखेजपएसोगाढे पन्नत्ते। तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं बत्तीसपएसिए, बत्तीसपएसोगाढे पन्नत्ते; उक्कोसेणं अणंतपएसिए, असंखेजपएसोगाढे पन्नत्ते।
[३७ प्र.] भगवन् ! वृत्तसंस्थान कितने प्रदेश वाला है और कितने आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ रहा हुआ
[३७ उ.] गौतम ! वृत्तसंस्थान दो प्रकार का कहा है वह इस प्रकार—घनवृत्त और प्रतरवृत्त । इनमें जो प्रतरवृत्त है, वह दो प्रकार का कहा है, यथा-ओज-प्रदेशिक और युग्म-प्रदेशिक। इनमें से ओज-प्रदेशिक प्रतरवृत्त जघन्य पंच-प्रदेशिक और पांच आकाश-प्रदेशों में अवगाढ़ है तथा उत्कृष्ट अनन्त-प्रदेशिक और असंख्यात आकाश-प्रदेशों में अवगाढ़ है और जो युग्म-प्रदेशिक प्रतरवृत्त है, वह जघन्य बारह प्रदेश वाला और बारह आकश-प्रदेशों में अवगाढ़ होता है तथा उत्कृष्ट अनन्त-प्रदेशिक और असंख्यात आकाश-प्रदेशों में अवगाढ़ होता है।
घनवृत्तसंस्थान दो प्रकार का कहा गया है यथा-ओज-प्रदेशिक और युग्म-प्रदेशिक। ओज-प्रदेशिक जघन्य सात प्रदेश वाला और सात आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है तथा उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशों वाला और असंख्यात आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है। युग्म-प्रदेशिक घनवृत्तसंस्थान जघन्य बत्तीस प्रदेशों वाला और बत्तीस आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है तथा उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशों वाला और असंख्यात आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है।
३८. तंसे णं भंते ! संठाणे कतिपएसिए कतिपएसोगाढे पन्नत्ते ? ___ गोयमा ! तंसे णं संठाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा-घणतंसे य पयरतंसे य। तत्थ णं जे से पयरतंसे से दुविहे पन्नत्ते, तं जहा—ओयपएसिए य, जुम्मपएसिए य। तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं तिपएसिए, तिपएसोगाढे पन्नत्ते, उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे पन्नत्ते। तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं छप्पएसिए, छप्पएसोगाढे पन्नत्ते, उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे पन्नत्ते। तत्थ णं जे से घणतंसे से दुविहे पन्नत्ते, तं जहा—ओयपदेसिए य, जुम्मपएसिए य। तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं पणतीसपएसिए पणतीसपएसोगाढे, उक्कोसेणं अणंतपएसिए, तं चेव। तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं चउप्पएसिए चउप्पदेसोगाढे पन्नत्ते; उक्कोसेणं अणंतपएसिए, तं चेव।