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________________ ३६] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र गन्ध के सप्तप्रदेशी स्कन्ध के समान ६ भंग होते हैं। रस के इसी स्कन्ध के वर्ण के समान २३१ भंग होते हैं। स्पर्श के चतुःप्रदेशी स्कन्ध के ३६ भंग होते हैं। विवेचन–अष्टप्रदेशी स्कन्ध के वर्णादिविषयक पाच सौ चार भंग–अष्टप्रदेशी स्कन्ध के विषय में वर्ण के २३१, गन्ध के ६, रस के २३१ और स्पश्र के ३६, ये कुल मिलाकर ५०४ भंग होते हैं। नवप्रदेशी स्कन्ध में वर्णादि के भंगों का निरूपण ९. नवपदेसियस्स० पुच्छा। गोयमा ! सिय एगवण्णे जहा अट्ठपएसिए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते। जति एगवण्णे, एगवण्णदुवण्ण-तिवण्ण-चउवण्णा जहेव अट्ठपएसियस्स। जति पंचवण्णे-सिय कालए, य नीलए य, लोहियए य, हालिद्दए य, सुक्किलए य १; सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य, हालिद्दए य, सुक्किलगा य २; एवं परिवाडीए एक्कतीसं भंगा भाणियव्वा जाव सिय कालगा य, नीलगा य, लोहियगा य, हालिद्दगा य, सुक्किलए य; एए एक्कतीसं भंगा। एवं एक्कग-दुयग-तियग-चउक्कगपंचगसंजोएहिं दो छत्तीसा भंगसया भवंति। गंधा जहा अट्ठपएसियस्स। रसा जहा एयस्स चेव वण्णा। फासा जहा चउप्पएसियस्स। [९ प्र.] भगवन् ! नवप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला होता है ? इत्यादि प्रश्न। [९ उ.] गौतम ! अष्टप्रदेशी स्कन्ध के समान, कदाचित् एकवर्ण (से लेकर) कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है; तक कहना चाहिए। यदि वह एक वर्ण, दो वर्ण, तीन वर्ण अथवा चार वर्ण वाला हो तो उसके भंग अष्टप्रदेशी स्कन्ध के (एक वर्ण, दो वर्ण, तीन वर्ण और चार वर्ण के) समान (कहने चाहिए)। ___यदि वह पांच वर्ण वाला होता है, तो (१) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (२) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है। इस प्रकार इस क्रम से कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, अनेकदेश लाल, अनेकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, यहाँ तक इकतीस भंग कहने चाहिए। इस प्रकार पांच वर्ण के ३१ भंग होते हैं। यों वर्ण की अपेक्षा असंयोगी ५, द्विकसंयोगी ४०, त्रिकसंयोगी ८०, चतुःसंयोगी ८० और पंचसंयोगी ३१, ये सब मिलाकर वर्ण सम्बन्धी २३६ भंग होते हैं। गन्ध-विषयक ६ भंग अष्टप्रदेशी के समान होते हैं। रस-विषयक २३६ भंग इसी (अष्टप्रदेशी) के वर्ण के समान २३६ भंग कहने चाहिए।
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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