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________________ वीसवाँ शतक : उद्देशक-५] [३५ गंधा जहा सत्तपएसियस्स। रसा जहा एयस्स चेव वण्णा। फासा जहा चउप्पएसियस्स। [८ प्र.] भगवन् ! अष्टप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला होता है ? इत्यादि प्रश्न है। [८ उ.] गौतम ! जब वह एक वर्ण वाला होता है, इत्यादि वर्णन सप्तप्रदेशी स्कन्ध के समान यावत्-कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है, इत्यादि कहना चाहिए। यदि एक वर्ण, दो वर्ण या तीन वर्ण वाला हो तो सप्तप्रदेशी स्कन्ध के एक वर्ण, द्विवर्ण एवं त्रिवर्ण के समान भंग कहने चाहिए। यदि वह चार वर्ण वाला होता है, तो (१) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल और एकदेश पीला होता है, (२) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल और अनेकदेश पीला होता है; इस प्रकार सप्तप्रदेशी स्कन्ध के समान पन्द्रह भंग (पन्द्रहवाँ भंग), कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, अनेकदेश लाल एवं एकदेश पीला तथा (सोलहवाँ भंग) कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, अनेकदेश लाल और अनेकदेश पीला होता है; तक जानना चाहिए। एक चतु:संयोग में सोलह भंग होते हैं। इस प्रकार इन पांच चतु:संयोगों के प्रत्येक के सोलह-सोलह भंग होने से ५४१६-८० भंग होते हैं। ___ यदि वह पांच वर्ण वाला होता है, तो (१) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (२) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है। इसी प्रकार इस क्रम से (१५) कदाचित् एकदेश काला, अनेकदेश नीला, अनेकदेश लाल और अनेकदेश पीला होता है, इस पन्द्रहवें भंग तक कहना च (१६) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (१७) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश् श्वेत होता है, (१८) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल और अनेकदेश पीला तथा एकदेश श्वेत होता है, (१९) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (२०) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (२१) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है, (२२) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल, अनेकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (२३) कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (२४) कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है, (२५) कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल, अनेकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, अथवा (२६) कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, अनेकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है । इस प्रकार पंचसंयोगी छव्वीस भंग होते हैं। इसी प्रकार कुल मिलाकर वर्ण के क्रमश:-असंयोगी ५, द्विक-संयोगी ४०, त्रिकसंयोगी ८०, चतु:संयोगी ८० और पंचसंयोगी २६, यों वर्णसम्बन्धी कुल २३१ भंग होते हैं। निगा।
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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