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वीसवाँ शतक : उद्देशक-५]
[२९ पंच-प्रदेशी स्कन्ध में वर्णादि की प्ररूपणा
५. पंचपदेसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे० !
जहा अट्ठारसमसए (स० १८ उ० ६ सु० १०) जाव सिय चउफासे पन्नत्ते। जति एगवण्णे, एगवण्णदुवण्णा जहेव चउपदेसिए। जति तिवण्णे-सिय कालए य, नीलए, य लोहियए य १; सिय कालए य, नीलए य, लोहियगा य २; सिय कालए य, नीलगा य, लोहियए य ३; सिय कालए य; नीलगा यं, लोहियगा य ४; सिय कलगा य, नीलए य, लोहियए य ५; सिय कालगा य, नीलए य, लोहियगा य ६; सिय कालगा य, नीलगा य, लोहियए य ७।सिय कालए य, नीलए य, हालिद्दए य, एत्थ वि सत्त भंगा ७। एवं कालग-नीलग-सुक्किलएसु सत्त भंगा ७; कालग-लोहिय-हालिद्देसु ७; कालग-लोहिय-सुक्किलेसु ७; कालग-हालिद्द-सुक्किलेसु ७; नीलग-लोहिय-हालिद्देसु ७, नीलग-लोहिय-सुक्किलेसु सत्त भंगा ७; नीलग-हालिद्द-सुक्किलेसु ७; लोहिय-हालिद्द-सुक्किलेसु वि सत्त भंगा ७; एवमेते तियासंजोएण सत्तरि भंगा। जति चउवण्णे—सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य, हालिद्दए य १; सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य, हालिद्दगा य २; सिय कालए य, नीलए य, लोहियगा य, हालिद्दगे य ३; सिय कालय य, नीलगा य, लोहियगे य, हालिद्दए य ४; सिय कालगा य, नीलए य, लोहियगे य, हालिद्दए य ५–एए पंच भंगा; सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य, सुक्किलए य एत्थ वि पंच भंगा; एवं कालग-नीलग-हालिद्द-सुक्किलेसु वि पंच भंगा; कालग-लोहिय-हालिद्द-सुक्किलएसु वि पंच भंगा ५; नीलग-लोहिय-हालिद्द-सुक्किलेसु वि पंच भंगा; एवमेते चउक्कगसंजोएणं पणुवीसं भंगा। जति पंचवण्णेकालए य, नीलए य, लोहियए य, हालिद्दए य, सुक्किल्लए य–सव्वमेते एक्कग-दुयग-तियग-चउक्कग-पंचगसंजोएणं ईयालं भंगसयं भवति।
गंधा जहा चउपएसियस्स। रसा जहा वण्णा। फासा जहा चउपदेसियस्स। [५ प्र.] भगवन् ! पंचप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला है ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न है।
[५ उ.] गौतम ! अठारहवें शतक के छठे उद्देशक के अनुसार, 'वह कदाचित् चार स्पर्श वाला कहा गया है'; तक जानना चाहिए।
यदि वह एक वर्ण वाला या दो वर्ण होता है, तो चतुःप्रदेशी स्कन्ध के समान (उसके ५ और ४० भंग क्रमश: जानना चाहिए)। जब वह तीन वर्ण वाला होता है तो (१) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला
और एकदेश लाल होता है; (२) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला और अनेकदेश लाल होता है, (३) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला और एकदेश लाल होता है; (४) कदाचित् एकदेश काला, अनेकदेश नीला और अनेकदेश लाल होते हैं, (५) अथवा कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला और एकदेश लाल होता है। (६) अथवा अनेकदेश काला एकदेश नीला और अनेकदेश लाल होते हैं। (७) अथवा अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला और एकदेश लाल होता है। (८-१४) अथवा कदाचित् एकदेश काला, एकदेश