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________________ द्वितीय उद्देशक अनन्तरोपपन्नक चौवीस दण्डकवर्ती जीवों के ग्यारह स्थानों द्वारा क्रियावादादि-प्ररूपणा ६०० क्रियावादी आदि चारों में अनन्तरोपपन्नक चौवीस दण्डकों की ग्यारह स्थानों द्वारा भव्याभव्य-प्ररूपणा ६०१ तृतीय उद्देशक . परम्परोपपन्नक चौवीस दण्डकीय जीवों में ग्यारह स्थानों द्वारा क्रियावादादि-निरूपण ६०३ चतुर्थ से ग्यारहवाँ उद्देशक छव्वीसवें शतक के क्रम से ४-११ वें उद्देशक तक की प्ररूपणा ६०४ इकतीसवाँ-बत्तीसवाँ शतक प्राथमिक ६०५ इकतीसवां शतक प्रथम उद्देशक क्षुद्रयुग्म : नाम और प्रकार ६०६ · चतुर्विध क्षुद्रयुग्म नैरयिकों के उपपात के सम्बन्ध में विभिन्न प्ररूपणा ६०७ द्वितीय उद्देशक चतुर्विध क्षुद्रयुग्म-कृष्णलेश्यी नैरयिकों के उत्पात को लेकर विविध प्ररूपणा ६१० तृतीय उद्देशक चतुर्विध क्षुद्रयुग्मविशिष्ट नीललेश्यी नैरयिकों सम्बन्धी प्ररूपणा ६१२ चतुर्थ उद्देशक चतुर्विध क्षुद्रयुग्म-कापोतलेश्यी नैरयिकों को लेकर विविध प्ररूपणा ६१३ पंचम उद्देशक चतुर्विध क्षुद्रयुग्म-भवसिद्धिक नैरयिकों की उपपात सम्बन्धी विविध प्ररूपणा ६१४ षष्ठम उद्देशक कृष्णलेश्यी भवसिद्धिक नारकों की उपपात सम्बन्धी प्ररूपणा ६१५ सप्तम उद्देशक नीललेश्या वाले भवसिद्धिक नारकों की प्ररूपणा ६१६ अष्टम उद्देशक चतुर्विध क्षुद्रयुग्म कापोतलेश्यी भवसिद्धिक नैरयिकों की उपपात-प्ररूपणा ६१७ [ १२५]
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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