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________________ ५३०, सप्तम स्थान : आहारादि संज्ञी की अपेक्षा पापकर्मबन्ध- प्ररूपणा ५३०, अष्टम स्थान : सवेदक-अवेदक जीव को लेकर पापकर्मबन्ध- प्ररूपणा ५३१, नवम स्थान : सकषायी अकषायी जीव को लेकर पापकर्मबन्ध प्ररूपणा ५३९, दसवाँ स्थान : सयोगी-अयोगी जीव को लेकर पापकर्मबन्ध - प्ररूपणा ५३२, ग्यारहवाँ स्थान : साकार- अनाकारोपयुक्त जीव की अपेक्षा पापकर्मबन्ध - प्ररूपणा ५३२, चौवीस दण्डकों में ग्यारह स्थानों की अपेक्षा पापकर्मबन्ध की चातुर्भंगीय प्ररूपणा ५३३, जीव और चौवीस दण्डकों में ज्ञानावरणीय से लेकर मोहनीय कर्मबन्ध तक की चतुर्भंगीय प्ररूपणा ग्यारह स्थानों में ५३५, जीव और चौवीस दण्डकों में आयुष्यकर्म की अपेक्षा चतुर्भंगीय - प्ररूपणा ग्यारह स्थानों में ५३८, जीव और चौवीस दण्डकों में नाम, गोत्र और अंतराय कर्म की अपेक्षा ग्यारह स्थानों में चतुर्भंगी प्ररूपणा ५४४ द्वितीय उद्देशक अनन्तरोपपन्नक नारकादि चौवीस दण्डकों में पापकर्मबन्ध की अपेक्षा ग्यारह स्थानों की प्ररूपणा ५४६ तृतीय उद्देशक परम्परोपपन्नक चौवीस दण्डकों में पापकर्मादिबन्ध को लेकर ग्यारह स्थानों की निरूपणा ५५० चतुर्थ उद्देश अनन्तरावगाढ चौवीस दण्डकों में पापकर्मादि-बन्ध प्ररूपणा ५५१ पांचवाँ उद्देशक परम्परावगाढ चौवीस दण्डकों में पापकर्मादिबन्ध की प्ररूपणा, ५५२ छठा उद्देशक अनन्तराहारक चौवीस दण्डकों में पापकर्मादिबन्ध की प्ररूपणा ५५३ सातवाँ उद्देशक परम्पराहारक चौवीस दण्डकों में पापकर्मादिबन्ध की प्ररूपणा ५५४ आठवाँ उद्देश अनन्तरपर्याप्तक चौवीस दण्डकों में पापकर्मादिबन्ध की प्ररूपणा ५५५ नौवाँ उद्देशक परम्परपर्याप्तक चौवीस दण्डकों में पापकर्मादिबन्ध-प्ररूपणा ५५६ दसवाँ उद्देश चरम चौवीस दण्डकों में पापकर्मादिबन्ध - प्ररूपणा ५५७ ग्यारहवाँ उद्देशक अचरम चौवीस दण्डकों में पापकर्मादिबन्ध - प्ररूपणा ५५८, अचरम दण्डकों में ज्ञानावरणीयादि कर्मबन्ध प्ररूपणा ५५९ [ १२३]
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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