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________________ प्रदेशतः अवगाहना-निरूपण ३०२, पंच संस्थानों में एकत्व - बहुत्व दृष्टि से द्रव्यार्थ प्रदेशार्थता की अपेक्षा कृतयुग्मादि निरूपण ३०७, पांच संस्थानों में यथायोग्य कृतयुग्मादि प्रदेशावगाह प्ररूपणा ३०९, परिमण्डलादि संस्थानों में कृतयुग्मादि समय स्थिति की प्ररूपणा ३१२, पाँच संस्थानों में वर्ण-गंध-रस - स्पर्श की अपेक्षा कृतयुग्मादि प्ररूपणा ३१२, श्रेणियों तथा लोक- अलोकाकाश श्रेणियों में प्रदेशार्थ से यथायोग्य संख्यातादि प्ररूपणा ३१५, सामान्य श्रेणियों तथा लोक- अलोकाकाश श्रेणियों में यथायोग्य सादि - सान्तादि प्ररूपणा ३१६, सामान्य श्रेणियों तथा लोक - अलोकाकाश श्रेणियों में द्रव्यार्थ - प्रदेशार्थ से कृतयुग्मादि प्ररूपणा ३१८, श्रेणी के प्रकारान्तर से सात भेद ३२०, परमाणु - पुद्गल तथा द्विप्रदेशिकादि स्कन्धों की चौवीस दण्डकों में अनुश्रेणि गति प्ररूपणा ३२१, चौवीस दण्डकों की आवास - संख्या प्ररूपणा ३२२, द्वादशविध गणिपिटिकों का अतिदेशपूर्वक निर्देश ३२२, नैरयिकादि सेन्द्रियादि सकायिकादि, आयुष्य बन्धक - अबन्धकों के अल्पबहुत्व की प्ररूपणा ३२२ । चतुर्थ उद्देश चार युग्म और उनके अस्तित्व का कारण ३२६, चौवीस दण्डकों और सिद्धों में युग्मभेद निरूपण ३२६, षट्द्रव्य और उनमें द्रव्यार्थ तथा प्रदेशार्थ रूप से युग्मभेद निरूपण ३२८, धर्मास्तिकायादि षट्द्रव्यों में अल्पबहुत्व का प्रज्ञापनासूत्रातिदेशपूर्वक निरूपण ३२९, धर्मास्तिकायादि में यथायोग्य अवगाढ- अनावगाढ प्ररूपणा ३२९, जीव एवं चौवीस दण्डकों में एकत्व - बहुत्व की अपेक्षा द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ रूप युग्मभेद निरूपण ३३१, सामान्य जीवं एवं चौवीस दण्डकों में अवगाहनापेक्षया कृतयुग्मादि प्ररूपणा ३३३, जीव एवं चौवीस दण्डकों में कृतयुग्मादि समय स्थिति की प्ररूपणा ३३४, सामान्य जीव एवं चौवीस दण्डकों में वर्णादि पर्यायापेक्षया कृतयुग्मादि प्ररूपणां ३३६, जीव, चौवीस दण्डकों और सिद्धों में ज्ञान - अज्ञान दर्शन पर्यायों की अपेक्षा एकत्व - बहुत्व दृष्टि से कृतयुग्मादि प्ररूपणा ३३७, प्रज्ञापनासूत्र के अतिदेशपूर्वक शरीर सम्बन्धी विवरण ३३९, जीव तथा चौवीस दण्डकों में सकम्प - निष्कम्प तथा देशकम्प - सर्वकम्प प्ररूपणा ३४०, परमाणु- पुद्गलों से अनन्त प्रदेशी स्कन्ध तक की प्ररूपणा ३४२, एक प्रदेशावगाढ से असंख्येय प्रदेशावगाढ पुद्गलों की प्ररूपणा ३४२, एक समय से लेकर असंख्यात समय की स्थिति वाले पुद्गलों की अनन्तता ३४२, वर्णगन्धादि वाले पुद्गलों की अनन्तता ३४३, परमाणु-पुद्गल से अनन्त प्रदेशी स्कन्धों तक की द्रव्य- प्रदेशार्थ से यथायोग्य बहुत्व प्ररूपणा ३४३, एक गुण काले आदि वर्ण तथा गन्ध-रस- स्पर्श वाले पुद्गलों की वक्तव्यता ३४६, एकादिगुणकर्कश स्पर्श वाले पुद्गलों की द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ से विशेषाधिकतादि प्ररूपणा ३४७, एक-संख्येय- असंख्येय- प्रदेशी पुद्गलों की अवगाहना एवं स्थिति को लेकर अल्पबहुत्व चर्चा ३४८, एक-संख्येय- असंख्येय अनन्तगुण वर्ण- गन्धादि वाले पुदगलों की द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ रूप से अल्पबहुत्वचर्चा ३४९, अवगाहना, स्थिति वर्णगन्धादि पर्यायों की अपेक्षा कृतयुग्मादि प्ररूपणा ३५४, परमाणु से लेकर अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक यथायोग्य - सार्द्ध - अनर्द्ध प्ररूपणा ३५८, परमाणु से लेकर अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक सकम्पता निष्कम्पता - प्ररूपणा ३६०, परमाणु से अनन्तप्रदेशी सकम्पनिष्कम्प स्कन्ध तक के अल्पबहुत्व की चर्चा ३६४, परमाणु से अनन्तप्रदेशी सकम्प-निष्कम्प स्कन्धों की द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ, द्रव्यप्रदेशार्थ से अल्पबहुत्व की चर्चा ३६४, परमाणु से अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक देशकम्पसर्वकम्प - निष्कम्पता की प्ररूपणा ३६६, परमाणु से अनन्तप्रदेशी देशकम्प - सर्वकम्प - निष्कम्प स्कन्धों की [ ११९ ]
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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