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________________ तइओ उद्देसओ : 'पुढवी ' तृतीय उद्देशक : पृथ्वी ( कायिकादि ) बारह द्वारों के माध्यम से पृथ्वीकायिकजीव से सम्बन्धित प्ररूपणा १. रायगिहे जाव एवं वयासि— [१] राजगृह नगर में गौतम स्वामी ने यावत् इस प्रकार पूछा— २. सियं भंते ! जाव चत्तारि पंच पुढविकाइया एगयओ साधारणसरीरं बंधंति, एग० बं० २ ततो पच्छा आहारेंति वा परिणामेंति वा सरीरं वा बंधंति ? नो तिणट्ठे समट्ठे, पुढविकाइया णं पत्तेयाहारा, पत्तेयपरिणामा, पत्तेयं सरीरं बंधंति प० बं० २ ततो पच्छा आहारेंति वा, पारिणामेंति वा सरीरं वा बंधंति । [२ प्र.] भगवन् ! क्या कदाचित् दो यावत् चार-पांच पृथ्वीकायिक मिल कर साधारण शरीर बांधते हैं, बांध कर पीछे आहार करते हैं, फिर उस आहार का परिणमन करते हैं और फिर इसके बाद शरीर का बन्ध (आहारित एवं परिणत किए गए पुद्गलों से पूर्व-बन्ध की अपेक्षा विशिष्ट बन्ध) करते हैं ? [ २ उ. ] गौतम! यह अर्थ समर्थ ( यथार्थ) नहीं है। क्योंकि पृथ्वीकायिक जीव प्रत्येक —— पृथक्-पृथक् आहार करने वाले हैं और उस आहार को पृथक् पृथक् परिणत करते हैं, इसलिए वे पृथक्-पृथक् शरीर बांधते हैं। इसके पश्चात् वे आहार करते हैं, उसे परिणमाते हैं और फिर शरीर बांधते हैं। ३. तेसिं णं भंते ! जीवाणं कति लेस्साओ पन्नत्ताऔ ? गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ पन्नत्ताओ । तं जहा कण्ह० नील० काउ० तेउ० । [३ प्र.] भगवन् ! उन (पृथ्वीकायिक) जीवों के कितनी लेश्याएँ कही गई हैं ? [३ उ.] गौतम ! उनमें चार लेश्याएँ कही गई हैं, यथा- - कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या तथा तेजोलेश्या । ४. ते णं भंते ! जीवा किं सम्मद्दिट्ठी, मिच्छद्दिट्ठी, सम्मामिच्छद्दिट्टी ? गोयमा ! नो सम्मद्दिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी । [४ प्र.] भगवन् ! वे जीव सम्यग्दृष्टि हैं, मिथ्यादृष्टि हैं, या सम्यग्मिथ्यादृष्टि हैं ? [४ उ. ] गौतम! वे जीव सम्यग्दृष्टि नहीं है, मिथ्यादृष्टि हैं, वे सम्यग्मिथ्यादृष्टि भी नहीं हैं। ५. ते णं भंते ! जीवा किं नाणी, अन्नाणी ? गोयमा ! नो नाणी, अन्नाणी, नियमा दुअन्नाणी, तं जहा – मतिअन्नाणी व सुयअन्नाणी य ।
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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