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छट्टो उद्देसओ : 'गुल'
छट्ठा उद्देशक : 'गुड़' (आदि के वर्णादि)
फाणित - त-गुड़, भ्रमर, शुक - पिच्छ, रक्षा, मंजीठ आदि पदार्थों में व्यवहार- निश्चयनय की दृष्टि से वर्ण- - गन्ध-रस-स्पर्श प्ररूपणा
१. फाणियगुले णं भंते! कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पन्नत्ते ?
गोयमा ! एत्थ दो नया भवंति, तं जहा – नेच्छयियनए य वावहारियनए य । वावहारियनयस्स गोड्डे फाणियगुले, नेच्छइयनयस्स पंचवण्णे दुगंधे पंचरसे अट्ठफासे पन्नत्ते ।
[१ प्र.] भगवन्! फाणित ( गीला ) गुड़ कितने वर्ण, कितने गन्ध, कितने रस और कितने स्पर्श वाला कहा
गया है ?
[१ उ.] गौतम! इस विषय में दो नयों ( का आश्रय लिया जाता है, यथा— नैश्चयिक नय और व्यावहारिक नय। व्यावहारिक नय की अपेक्षा से फाणित - गुड़ मधुर ( गौल्य) रस वाला कहा गया है और नैश्चयिक नय की दृष्टि से गुड़ पांच वर्ण, दो गन्ध, पांच रस और आठ स्पर्श वाला कहा गया है।
२. भमरे णं भंते ! कतिवण्णे० पुच्छा ।
गोमा ! एत्थ दो नया भवंति, तं जहा- - नेच्छइयनए य वावहारियनए य । वावहारियनयस्स कालए भमरे, नेच्छइयनयस्स पंचवण्णे जाव अट्ठफासे पन्नत्ते ।
[२ प्र.] भगवन् ! भ्रमर कितने वर्ण- गन्धादि वाला है ? इत्यादि प्रश्न ।
[२ उ.] गौतम ! व्यावहारिक नय से भ्रमर काला है और नैश्चयिनक नय से भ्रमर पांच वर्ण, दो गन्ध, पांच रस और आठ स्पर्श वाला है।
३. सुयपिंछे णं भंते! कतिवण्णे० ?
एवं चेव, नवरं वावहारियनयस्स नीलए सुयपिच्छे, नेच्छइयनयस्स पंचवण्णए० सेसं तं चेव ।
[ ३ प्र.] भगवन्! तोते की पांखें कितने वर्ण वाली हैं ? इत्यादि प्रश्न ।
[३ उ. ] गौतम ! व्यावहारिक नय से तोते की पांखें हरे रंग की हैं और नैश्चयिक नय से पांच वर्ण वाली इत्यादि पूर्वोक्त रूप से जानना चाहिए।
४. एवं एएणं अभिलावेणं लोहिया मंजिट्ठी पीतिया हलिद्दा, सुक्किलए संखे, सुब्भिगंधे कोट्ठे, दुब्भिंगधे मयगसरीर, तित्ते निंबे, कडुया सुंठी, कसाएतुरए कविट्ठे, अंबा अंबलिया, मुहरे खंडे, कक्खडे वइरे, नवणी, गरुए अये, लहुए उलयपत्ते, सीए हिमे, उसिणे अगणिकाए, णिद्धे तेल्ले ।