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________________ छट्ठो उद्देसओ : छठा उद्देशक पउम : पद्म (जीव सम्बन्धी) १. पउमे णं भंते ! एगपत्तए किं एगजीवे, अणेगजीवे ? एवं उप्पलुद्देसगवत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति०। ॥एक्कारसमे सए छट्ठो उद्देसओ समत्तो ॥११.६ ॥ [१ प्र.] भगवन् ! एक पत्र वाला पद्म, एक जीव वाला होता है या अनेक जीव वाला होता है ? [१ उ.] गौतम ! उत्पल-उद्देशक के अनुसार इसकी सारी वक्तव्यता कहनी चाहिए। ___ 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है,' यों कह कर गौतमस्वामी यावत् विचरण करते हैं। विवेचन—पद्म के जीव का समग्र वर्णन उत्पलसम्बन्धी द्वारवत्-प्रस्तुत सूत्र में उत्पलोद्देशक के अतिदेशपूर्वक पद्मजीव सम्बन्धी उल्लेख किया गया है। यद्यपि उत्पल और पद्म कमल के ही पर्यायवाची शब्द हैं, तथापि यहाँ नीलकमल-विशेष को पद्म कहा गया है। ॥ ग्यारहवाँ शतक : छठा उद्देशक समाप्त॥ ०००
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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