________________
छट्ठो उद्देसओ : 'सुमिणे'
छठा उद्देशक : स्वप्न-दर्शन
स्वप्न-दर्शन के पांच प्रकार
१. कतिविधे णं भत्ते! सुविणदंसणे पन्नत्ते ?
गोयमा! पंचविहे सुविणदंसणे पन्नत्ते, तं जहा—अहातच्चे पयाणे चिंतासुविणे तब्विवरीए अव्वत्तदंसणे।
[१ प्र.] भगवन् ! स्वप्न-दर्शन कितने प्रकार का कहा गया है ?
[१ उ.] गौतम! स्वप्नदर्शन पांच प्रकार का कहा गया है। यथा—(१) यथातथ्य-स्वप्नदर्शन, (२) प्रतान-स्वप्नदर्शन, (३) चिन्ता-स्वप्नदर्शन, (४) तद्विपरीत-स्वप्नदर्शन और (५) अव्यक्त-स्वप्नदर्शन।
विवचेन–स्वप्नदर्शन : स्वरूप, प्रकार और लक्षण—सुप्त अवस्था में किसी भी अर्थ के विकल्प का प्राणी को जो अनुभव होता है, चलचित्र के देखने का-सा प्रत्यक्ष होता है, वह स्वप्नदर्शन कहलाता है। इसके पांच प्रकार हैं, जिनके लक्षण क्रमशः इस प्रकार हैं
(१) अहातच्चे : दो रूप : दो अर्थ (१) यथातथ्य और ( २ ) यथातत्त्व स्वप्न में जिस अर्थ को देखा गया, जागृत होने पर उसी को देखना या उसके अनुरूप शुभाशुभ फल की प्राप्ति होना यथातथ्यस्वप्नदर्शन है। इसके दो प्रकार हैं—(१) दृष्टार्थाविसंवादी—स्वप्न में देखे हुए अर्थ के अनुसार जागृत अवस्था में घटना घटित होना। जैसे—किसी व्यक्ति ने स्वप्न में देखा कि मेरे हाथ में किसी ने फल दिया। जागृत होने पर उसी प्रकार की घटना घटित हो, अर्थात्, कोई उसके हाथ में फल दे दे।(२) फलाविसंवादी स्वप्न के अनुसार जिसका फल (परिणाम) अवश्य मिले, वह फलाविसंवादी स्वप्नदर्शन है। जैसे—किसी ने स्वप्न में अपने आपको हाथी आदि पर बैठे देखा, जागृत होने पर कालान्तर में उसे धनसम्पत्ति आदि की प्राप्ति हो।
(२) प्रतान-स्वप्नदर्शन—प्रतान का अर्थ है—विस्तार। विस्तारवाला स्वप्न देखना प्रतानस्वप्नदर्शन है, यह सत्य भी हो सकता है, असत्य भी। (३) चिन्ता-स्वप्नदर्शन—जागृत अवस्था में जिस वस्तु की चिन्ता रही हो, अथवा जिस अर्थ का चिन्तन किया हो, स्वप्न में उसी को देखना, चिन्ता-स्वप्नदर्शन है। (४) तद्विपरीत-स्वप्नदर्शन—स्वप्न में जो वस्तु देखी हो, जागृत होने पर उसके विपरीत वस्तु की प्राप्ति होना, तविपरीत-स्वप्नदर्शन है। जैसे—किसी ने स्वप्न में अपने शरीर को विष्टा में लिपटा देखा, किन्तु जागृतावस्था में कोई पुरुष उसके शरीर को शुचि पदार्थ (चंदन आदि) में लिप्त करे। (५) अव्यक्त-स्वप्नदर्शन—स्वप्न में देखी हुई वस्तु का अस्पष्ट ज्ञान होना, अव्यक्त-स्वप्नदर्शन है।'
१. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ७१०