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________________ ३४४ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र ३४. एवं तिरिक्खजोणिय० मणुस्स० देवोहिमरणे वि। [३४] इसी प्रकार तिर्यञ्चयोनिक-द्रव्यावधिमरण, मनुष्य-द्रव्यावधिमरण और देव-द्रव्यावधिमरण भी कहना चाहिए। ३५. एवं एएणं गमएणं खेत्तोहिमरणे वि, कालोहिमरणे वि, भवोहिमरणे वि, भावोहिमरणे वि। [३५] इसी प्रकार के आलापक क्षेत्रावधिमरण, कालावधिमरण, भवावधिमरण और भावावधिमरण के विषय में भी कहने चाहिए। विवेचन–अवधिमरण के भेद-प्रभेद-प्रस्तुत पांच सूत्रों (सू. ३१ से ३५ तक) में अवधिमरण के द्रव्य, क्षेत्र, काल, भव और भाव की अपेक्षा से पांच भेद किये हैं, फिर उनके भी प्रत्येक के नैरयिक, तिर्यञ्चयोनिक, मनुष्य और देव, यों गति की अपेक्षा से चार-चार भेद किये हैं। आत्यन्तिकमरण के भेद-प्रभेद और उनका स्वरूप ३६. आतियंतियमरणे णं भंते ! ० पुच्छा। गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा—दव्वातियंतियमरणे, खेत्तातियंतियमरणे, जाव भावातियंतिमरणे। [३६ प्र.] भगवन् ! आत्यन्तिकमरण कितने प्रकार का कहा गया है ? [३६ उ.] गौतम ! आत्यन्तिकमरण पांच प्रकार का कहा गया है। यथा—द्रव्यात्यन्तिकमरण, क्षेत्रात्यन्तिकमरण यावत् भावात्यन्तिकमरण। ३७. दव्वातियंतियमरणे णं भंते ! कतिविधे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउबिहे पण्णत्ते, जहा—नेरइयदव्वातियंतियमरणे जाव देवदव्वातियंतियमरणे। [३७ प्र.] भगवन् ! द्रव्यात्यन्तिकमरण कितने प्रकार का कहा गया है ? [३७ उ.] गौतम ! द्रव्यात्यन्तिकमरण चार प्रकार का कहा गया है। यथा—नैरयिक-द्रव्यात्यन्तिकमरण यावत् देव-द्रव्यात्यन्तिकमरण। ३८. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चति 'नेरइयदव्वातियंतियमरणे, नेरइयदव्वातियंतियमरणे' ? गोयमा ! जं णं नेरइया नेरइयदव्वे वट्टमाणा जाइं दव्वाइं संपतं मरंति, जे णं नेरइया ताई दव्वाइं अणागते काले नो पुणो वि मरिस्संति। से तेणढेणं जाव मरणे। [३८ प्र.] भगवन् ! नैरयिक-द्रव्यात्यन्तिकमरण नैरयिक-द्रव्यात्यन्तिकमरण क्यों कहलाता है ? ___ [३७ उ.] गौतम ! नैरयिक द्रव्य रूप में रहे हुए (वर्तमान) नैरयिक जीव जिन द्रव्यों को इस समय (वर्तमान में) छोड़ते हैं, वे नैरयिक जीव उन द्रव्यों को भविष्यत्काल में फिर कभी नहीं छोड़ेंगे। इस कारण हे
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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