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ग्यारहवाँ उद्देशक : (ऊर्ध्ववायुकायिक)
सौधर्मकल्प में मरणसमुद्घात करके सप्त नरकादि पृथ्वियों में उत्पन्न होने योग्य वायुकाय की उत्पत्ति और पुद्गलग्रहण में प्रथम क्या ? ६४८.
बारहवाँ उद्देशक : एकेन्द्रिय जीवों में आहारादि की समता - विषमता
एकेन्द्रियजीवों में समाहार आदि सप्तद्वार निरूपण ६४९, एकेन्द्रियों में लेश्या की तथा लेश्या एवं ऋद्धि की अपेक्षा से अल्पबहुत्व की प्ररूपणा ६४९.
तेरहवाँ उद्देशक : नाग ( कुमार सम्बन्धी वक्तव्यता )
नागकुमारों में समाहारादि सप्त द्वारों की तथा लेश्या की अपेक्षा से अल्पबहुत्वप्ररूपणा ६५१.
चौदहवाँ उद्देशक : सुवर्ण कुमार ( सम्बन्धी वक्तव्यता )
सुवर्णकुमारों में समाहारादिसप्त द्वारों की तथा लेश्या एवं लेश्या की अपेक्षा से अल्पबहुत्व की प्ररूपणा ६५२.
पन्द्रहवाँ उद्देशक : विद्युत्कुमार ( सम्बन्धी वक्तव्यता )
वायुकुमारों में समाहारादि सप्त द्वारों की तथा लेश्या एवं लेश्या की अपेक्षा अल्पबहुत्व की प्ररूपणा ६५४.
सत्तरहवां उद्देशक : अग्निकुमार ( सम्बन्धी वक्तव्यता )
अग्निकुमारों में समाहारादि तथा लेश्या एवं अल्पबहुत्वादि - प्ररूपणा ६५५. अठारहवाँ शतक
प्राथमिक-उद्देशकपरिचय ६५६, अठारहवें शतक के उद्देशकों का नामनिरूपण ६५८.
६४८
-६५३
विद्युत्कुमारों में समाहार आदि की तथा लेश्या एवं लेश्या की अपेक्षा अल्पबहुत्व की
प्ररूपणा ६५३.
सोलहवाँ उद्देशक : वायुकुमार ( सम्बन्धी वक्तव्यता )
प्रथम उद्देशक : प्रथम
६४९
६५१
६५२
६५४
६५५
६५९
प्रथम- अप्रथम ६५९, जीव, चौवीस दण्डक और सिद्ध में जीवत्व - सिद्धत्व की अपेक्षा से प्रथमत्व-अप्रथमत्व ६६०, जीव, चौवीस दण्डक और सिद्धों में आहारकत्व - अनाहारकत्व की अपेक्षा से प्रथमत्व - अप्रथमत्व का निरूपण ६६०, भवसिद्धिक, अभवसिद्धिक तथा नोभवसिद्धिक-नोअभवसिद्धिक के विषय में भवसिद्धिकत्वादि दृष्टि से प्रथम- अप्रथम प्ररूपणा ६६२, जीव, चौवीस दण्डक एवं सिद्धों में संज्ञी, असंज्ञी, नोसंज्ञी - नोअसंज्ञी भाव की अपेक्षा से प्रथमत्व - अप्रथमत्व निरूपण ६६३, सलेश्यी, कृष्णादिलेश्यी एवं अलेश्यी जीव के विषय में सलेश्यादि भाव की अपेक्षा से प्रथमत्व - अप्रथमत्व निरूपण ६६४,
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