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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र
आया य अवत्तआया इ य नो आया ति य ७; देसे आदिट्ठे सब्भावपज्जवे, देसे आदिट्ठा तदुभयपज्जवा तिपएसिए खंधे आया य अवत्तव्वाइं—आयाओ य नो आयाओ य ८; देसा आदिट्ठे सब्भावपज्जवा,
आदि तदुभयज्जवे तिपएसिए खंधे आयाओ य अवत्तव्वं — आया ति य नो आया ति य ९; एए तिणि भंगा। देसे आदिट्ठे असब्भावपज्जवे, देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे नो आया य अवत्तव्वं — आया ति य नो आया ति य १०; देसे आदिट्टे असब्भावपज्जवे, देसा आदिट्ठा तदुभयपज्जवा तिपएसिए खंधे नो आया य अवत्तव्वाइं—आयाओ य नो आयाओ य ११; देसा आदिट्ठा असब्भावपज्जवा, देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे तिपंएसिए खंधे नो आयाओ य अवत्तव्वं – आया ति य नो आया ति य १२; देसे आदिट्ठे सब्भावपज्जवे, देसे आदिट्ठे असब्भावपज्जवे, देसे आदि तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे आया य नो आया य अवत्तव्वं — आया ति य नो आया ति य १३; से तेणणं गोयमा ! एवं वुच्चइ तिपएसिए खंधे सिय आया० तं चैव जाव नो आया ति य ।
[२९-२ प्र.] भगवन् ! किस कारण से आप ऐसा कहते हैं कि त्रिप्रदेशी स्कन्ध कथंचित् आत्मा है, इत्यादि सब पूर्ववत्, कथंचित् आत्मा है, नो आत्मा है, और आत्मा - नो आत्म उभयरूप होने से अवक्तव्य है ? तक उच्चारण करना चाहिए ।
[२९-२ उ.] गौतम ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध १ - अपने आदेश (अपेक्षा) से आत्मा (सद्रूप) है; २-पर के आदेश से नो आत्मा (असद्रूप) है, ३ - उभय के आदेश से आत्मा और नो आत्मा इस प्रकार उभयरूप होने से अवक्तव्य है । ४- एक देश के आदेश से सद्भाव - पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से असद्भावपर्याय की अपेक्षा से वह त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्मा और नो- आत्मारूप है । ५- एक देश के आदेश के सद्भाब पर्याय की अपेक्षा से और बहुत देशों के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से, वह त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्मा और नो- आत्माएँ हैं । ६- बहुत देशों के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्माएं और नो आत्मा है। ७- एक देश के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से उभय- (सद्भाव और असद्भाव ) पर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्मा और आत्मा तथा नो आत्मा —— उभयरूप से अवक्तव्य है । ८- एक देश के आदेश से, सद्भावपर्याय की अपेक्षा से और बहुत देशों के आदेश से, उभयपर्याय की विवक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध, आत्मा और आत्माएँ तथा नो आत्माएं, इस प्रकार उभयरूप से अवक्तव्य है । ९ - बहुत देशों के आदेश से सद्भाव - पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से उभयपर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्माएँ और आत्मा - नो-आत्माउभयरूप से अवक्तव्य है। ये तीन भंग जानने चाहिए । १० - एकदेश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से उभयपर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध नो आत्मा और आत्मा नो- आत्माउभयरूप से अवक्तव्य है । ११ - एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और बहुत देशों के आदेश से और तदुभय-पर्याय की अपेक्षा से, त्रिप्रदेशी स्कन्ध नो- आत्मा और आत्माएँ तथा नो आत्मा इस उभयरूप से अवक्तव्य है। १२-बहुत देशों के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से तदुभय