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निरूपण ५९४, परमाणु की एक समय में लोक के पूर्व-पश्चिमादिचरमान्त तक गतिसामर्थ्य ५९७, वृष्टिनिर्णयार्थ करादि के संकोचन-प्रसारण में लगने वाली क्रियाएँ ५९७, महर्द्धिक देव का लोकान्त में रहकर अलोक में अवयव संकोचन-प्रसारण-असामर्थ्य
५९८. नौवाँ उद्देशक : बलि (वैरोचनेन्द्रसभा)
६०० ___ बलि-वेरोचनेन्द्रसभा की सुधर्मा सभा से सम्बन्धित वर्णन ६००. दसवाँ उद्देशक : अवधिज्ञान
प्रज्ञापनासूत्र के अतिदेशपूर्वक अवधिज्ञान का वर्णन ५९२. ग्यारहवाँ उद्देशक : द्वीपकुमार सम्बन्धी वर्णन
६०३ द्वीपकुमार देवों की आहार, श्वासोच्छ्वासादि की समानता-असमानता का वर्णन ६०३,
द्वीपकुमारों में लेश्या की तथा लेश्या एवं ऋद्धि के अल्पबहुत्व की प्ररूपणा ६०३. बारहवाँ उद्देशक : उदधिकुमार सम्बन्धी वक्तव्यता
६०५ . उदधिकुमारों में आहारादि की समानता-असमानता का निरूपण ६०५. तेरहवाँ उद्देशक : दिशाकुमार सम्बन्धी वक्तव्यता
६०६ दिशाकुमारों में आहारादि की समानता-असमानता सम्बन्धी वक्तव्यता ६०६. चौदहवाँ उद्देशक : स्तनितकुमार सम्बन्धी वक्तव्यता स्तनितकुमारों में आहारादि की समानता-असमानता सम्बन्धी वक्तव्यता ६०७.
सत्तरहवाँ शतक प्राथमिक- उद्देशकपरिचय ६०८, सत्तरहवें शतक का मंगलाचरण ६१०, उद्देशकों के
नामों की प्ररूपणा ६१०. प्रथम उद्देशक : कुंजर (आदि सम्बन्धी वक्तव्यता)
६११ उदायी और भूतानन्द हस्तिराज के पूर्व और पश्चाद्भवों के निर्देशपूर्वक सिद्धिगमनप्ररूपणा ६११, ताड़ फल को हिलाने गिराने आदि से सम्बन्धित जीवों को लगने वाली क्रिया ६१२, वृक्ष के मूल कन्द आदि को हिलाने से संबंधित जीवों को लगने वाली क्रिया ६१४, शरीर, इन्द्रिय और योग : प्रकार तथा इनके निमित्त से लगने वाली क्रिया ६०१,
षड्विध भावों का अनुयोगद्वार के अतिदेशपूर्वक निरूपण ६१७. द्वितीय उद्देशक : संजय
संयत आदि जीवों के तथा चौवीस दण्डकों के सयुक्तिक धर्म, अधर्म एवं धर्माधर्म में स्थित होने की चर्चा-विचारणा ६१९, अन्यतीर्थिकमत के निराकरणपूर्वक श्रमणादि में, जीवों में तथा चौवीस दण्डकों में बाल, पण्डित और बाल-पण्डित की प्ररूपणा ६२१,
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