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________________ बारहवाँ शतक : उद्देशक-९ २१५ वा, विउव्वंति वा, विउव्विसंति वा। [१९ प्र.] भगवन् ! देवाधिदेव (के विकुर्वणा-सामर्थ्य) के विषय में प्रश्न—(क्या वे एक रूप या अनेक रूपों की विकुर्वणा करने में समर्थ हैं ) ? [१९ उ.] गौतम ! (वे) एक रूप की विकुर्वणा करने में समर्थ हैं, और अनेक रूपों की विकुर्वणा करने में भी समर्थ हैं। किन्तु शक्ति होते हुए भी उत्सुकता के अभाव में उन्होंने क्रियान्विति रूप में कभी विकुर्वणा नहीं की, नहीं करते हैं और न करेंगे। २०. भावदेवा जहा भवियदव्वदेवा। [२०] जिस प्रकार भव्य-द्रव्यदेव (के विकुर्वणा-सामर्थ्य) का (कथन किया) है, उसी प्रकार भावदेव (के विकुर्वणा-सामर्थ्य) का (कथन करना चाहिए)। ___ विवेचन—प्रस्तुत चार सूत्रों (१७ से २० तक) में पूर्वोक्त पंचविध देवों की विक्रियासामर्थ्य का प्रतिपादन किया गया है। विकुर्वणा-समर्थ भव्यद्रव्यदेव-वे ही भव्यद्रव्यदेव मनुष्य और तिर्यंच एक या अनेक रूपों की विकुर्वणा कर सकते हैं, जो वैक्रियलब्धिसम्पन्न हों ।' देवाधिदेव की वैक्रियशक्ति–देवाधिदेव एक रूप या अनेक रूपों की विकुर्वणा कर सकते हैं। किन्तु वैक्रियशक्ति होते हुए भी वे सर्वथा उत्सुकतारहित होने से विकुर्वणा नहीं करते। निष्कर्ष यह है कि वैक्रियसम्प्राप्ति होते हुए भी उनके द्वारा शक्ति-स्फोट, कदापि (तीन काल में भी) नहीं किया जाता है। विक्रिया उनमें लब्धिमात्र रहती है। कठिन शब्दार्थ-एगत्तं—एकत्व-एकरूप, पहुत्तं-पृथक्त्व अथवा नानारूप । पंचविधदेवों की उद्वर्तना-प्ररूपणा २१. [१] भवियदव्वदेवा णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उववजंति ? किं नरइएसु उववज्जति, जाव देवेसु उवज्जति ? गोयमा ! नो नेरइएसु उववजंति, ? नो तिरि०, नो मणु, देवेसु उववजंति। [२१-१ प्र.] भगवन् ! भव्यद्रव्यदेव मर कर तुरन्त (बिना अन्तर के) कहाँ (किस गति में) जाते हैं, कहाँ उत्पन्न होते हैं ? क्या वे (मर कर तुरन्त) नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं, यावत् अथवा देवों में उत्पन्न होते हैं? १. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ५८६ २. वही, पत्र ५८६ ३. वही, पत्र ५८६
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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