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बारहवाँ शतक : उद्देशक-४
१४५ होता है। अथवा एक ओर एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और एक ओर एक पंचप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा पृथक्पृथक् दो चुतष्प्रदेशी स्कन्ध होते हैं। उसके तीन विभाग किये जाने पर एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणुपुद्गल और एक ओर षट्प्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर दो द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध होता है, और एक ओर दो त्रिप्रदेशी स्कन्ध पृथक्-पृथक् होते हैं । जब उसके चार विभाग किये जाएँ तो एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणुपुद्गल और एक और
शक स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर पृथक-पृथक दो परमाण-पदगल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होता हैं। अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणुपुदगल, एक ओर पृथक्-पृथक् दो त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं। अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर
स्कन्ध और एक ओर एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं। अथवा पृथक-पृथक चार द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। पांच विभाग किये जाने पर एक ओर पृथक्-पृथक् चार परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु-पुद्गल और एक ओर द्विप्रदेशी स्कन्ध तथा एक
ओर एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल और एक ओर तीन द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं अथवा उसके छह विभाग किये जाएँ तो एक ओर पृथक्-पृथक् पांच परमाणु-पुद्गल
और एक ओर एक त्रिप्रदेशीस्कन्ध होता है। अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् चार परमाणु-पुद्गल और एक ओर दो द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं। यदि उसके सात विभाग किये जाएँ तो एक ओर पृथक्-पृथक् छह परमाणुपुद्गल और एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध होता है। यदि उसके आठ विभाग किये जाएँ तो पृथक्-पृथक् आठ परमाणु-पुद्गल होते हैं।
विवेचन–अष्टप्रदेशी स्कन्ध के विभागीय इक्कीस विकल्पदो विभाग–१-७।२-६।३-५ । ४-४। तीन विभाग-१-१-६।१-२-५ । १-३-४। २-२-४। २-३-३। चार विभाग-१-१-१-५ । १-१-२-४।१-१-३-३।१-२-२-३।२-२-२-२। पांच विभाग-१-१-१-१-४।१-१-१-२-३।१-१-२-२-२। छह विभाग-१-१-१-१-१-३। १-१-१-१-२-२। सात विभाग–१-१-१-१-१-१-२। आठ विभाग-१-१-१-१-१-१-१-१।।
इस प्रकार कुल ४+५+५+३+२+१+१=२१ विकल्प होते हैं। नौ परमाणु-पुद्गलों का संयोग-विभाग-निरूपण
९. नव भंते ! परमाणुपोग्गला० पुच्छा। गोयमा ! जाव नवविहा कजंति। दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपो०, एगयओ अट्ठपएसिए खंधे भवति; एवं एक्केक्कं संचारेंतेहिं जाव अहवा एगयओ