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________________ १४४ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र पृथक्-पृथक् सात परमाणु-पुद्गल होते हैं। विवेचन–सप्तप्रदेशिक स्कन्ध के चौदह विकल्प, यथादो विभाग–१-६। २-५ । ३-४। तीन विभाग-१-१-५। १-२-४।१-३-३। २-२-३। चार विभाग-१-१-१-४।१-१-२-३।१-२-२-२। पांच विभाग–१-१-१-१-३। १-१-१-२-२। छह विभाग–१-१-१-१-१-२। सात विभाग-१-१-१-१-१-१-१। इस प्रकार कुल ३+४+३+२+१+१=१४ विकल्प हुए। आठ परमाणु-पुद्गलों का संयोग-विभाग-निरूपण ८. अट्ठ भंते ! परमाणुपोग्गला० पुच्छा। गोयमा ! अट्ठपएसिए खंधे भवइ, जाव दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणु०, एगयओ सत्तपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दुपदेसिए खंधे एगयओ छप्पदेसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ तिपएसिए०, एगयओ पंचपदेसिए खंधे भवइ; अहवा दो चउप्पदेसिया खंधा भवंति। तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणु०, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ परमाणु०, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ पंचप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ परमाणु० तिपएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति। चउहा कज्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दोण्णि परमाणुपोग्गला०, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो परमाणुपो०, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ परमाणुपो०, एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति; अहवा चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति। पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपो०, एगयओ दुपएसिए०, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो परमाणुपो० एगयओ तिन्न दपएसिया खंधा भवंति। छहा कज्जमाणे एगयओ पंच परमाणपो०. एगयओ तिपएसिए खंधे भवतिः अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपो०, एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति। सत्तहा कज्जमाणे एगयओ छ परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवति। अट्टहा कज्जमाणे अट्ठ परमाणुपोग्गला भवंति। [८ प्र.] भगवन् ! आठ परमाणु-पुद्गल संयुक्तरूप से इकट्ठे होने पर क्या बनता है ? [८ उ.] गौतम ! उनका अष्टप्रदेशिक स्कन्ध बन जाता है। यदि उसके विभाग किये जाएँ तो दो, तीन, चार यावत् आठ विभाग होते हैं। दो विभाग किये जाने पर एक ओर एक परमाणु-पुद्गल और एक ओर सप्तप्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध और दूसरी ओर एक षट्प्रदेशी स्कन्ध
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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