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________________ बारहवां शतक : उद्देशक-४ १४३ विवेचन —षट्प्रदेशिक स्कन्ध के दस विकल्प–यथा-१-५। २-४।३-३।१-१-४।१-२-३। २-२-२।१-१-१-३।१-१-२-२ । १-१-१-१-२। और १-१-१-१-१-१ । सात परमाणु-पुद्गलों का संयोग-विभाग-निरूपण ___७. सत्त भंते ! परमाणुपोग्गला० पुच्छा। गोयमा ! सत्तपदेसिए खंधे भवति। से भिज्जमाणे दुहा वि जाव सत्तहा वि कज्जइ। दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दुप्पएसिए खंधे, एगयओ पंचपदेसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ तिप्पएसिए, एगयओ चउपएसिए खंधे भवति। तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ परमाणु०, एगयओ दो तिपएसिया खंधे भवंति; अहवा एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति। चउहा कज्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ परमाणुओ०, एगयओ तिन्नि दुपएसिया खंधा भवंति। पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपो०, एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति। छहा कज्जमाणे एगयओ पंच परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपदेसिए खंधे भ | कज्जमाणे सत्त परमाणुपोग्गला भवंति। [७ प्र.] भगवन् ! जब सात परमाणु पुद्गल संयुक्त रूप से इकट्ठे होते हैं, तब उनका क्या होता है ? [७ उ.] गौतम ! उनका सप्त-प्रदेशिक स्कन्ध होता है। उसका भेदन किये जाने पर दो, तीन यावत् सात विभाग भी हो जाते हैं। यदि दो विभाग किये जाएँ तो—एक ओर एक परमाणु-पुद्गल और दूसरी ओर षट्प्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है, एक ओर पंचप्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है और दूसरी ओर चतुःप्रदेशी स्कन्ध होता है। तीन विभाग किये जाने पर—एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल और दूसरी ओर पंचप्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर एक परमाणुपुद्गल, एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध, और एक ओर चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर एक परमाणु पुद्गल एक ओर पृथक्-पृथक् दो त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं । अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं और दूसरी ओर एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है। चार विभाग किये जाने पर एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु-पुद्गल, एक ओर चतुःप्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर दो परमाणु-पुद्गल पृथक्-पृथक्, एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध तथा एक ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर एक परमाणु पुद्गल और दूसरी ओर तीन द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं। पांच विभाग किये जाने पर एक ओर पृथक्पृथक् चार परमाणु पुद्गल और एक और त्रिप्रदेशिक स्कन्ध रहता है। अथवा एक ओर तीन पृथक्-पृथक् परमाणु-पुद्गल और एक ओर पृथक्-पृथक् दो द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं। छह विभाग किये जाने पर एक ओर पृथक्-पृथक् पांच परमाणु-पुद्गल और दूसरी ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है। सात विभाग किये जाने पर
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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