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________________ १४६ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र चउप्पएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवति। तिहा कजमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ सत्तपएसिए खंधे भवति;अहवा एगयओ परमाणुपो०, एगयओ दुपएसिए०, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ परमाणुपो० एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ परमाणुपो०, एगयओ दो चउप्पएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ दुपदेसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवति; अहवा तिण्ण तिपएसिया खंधा भवंति। चउहा भिज्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपो०, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो परमाणुपो० एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो परमाणुपो० एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ परमाणुपो०, एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ परमाणुपो०, एगयओ दुपदेसिए खंधे, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ तिन्नि दुप्पएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति। पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणपो०, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपो०, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ तिण्णि परमाणुपो०, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ परमाणुपो०, एगयओ चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति। छहा कज्जमाणे एगयओ पंच परमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपो०, एगयओ दुप्पएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपो०, एगयओ तिन्नि दुप्पएसिया खंधा भवंति। सत्तहा कजमाणे एगयओ छ परमाणुपो०, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ पंच परमाणुपो० एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति। अट्टहा कजमाणे एगयओ सत्त परमाणुपो०, एगयओ दुपएसिए खंधे भवति। नवहा कज्जमाणे नव परमाणुपोग्गला भवंति। [९ प्र.] भगवन् ! नौ परमाणु-पुद्गलों के संयुक्तरूप से इकट्ठे होने पर क्या बनता है ? [९ उ.] गौतम ! उनका नवप्रदेशी स्कन्ध बनता है। उसके विभाग हों तो दो, तीन यावत् नौ विभाग होते हैं । यदि उसके दो विभाग किये जाएँ तो एक ओर एक परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक अष्टप्रदेशी स्कन्ध होता है । इस प्रकार क्रमशः एक-एक का संचार (वृद्धि) करना चाहिए, यावत् अथवा एक ओर एक चतुष्प्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक पंचप्रदेशी स्कन्ध होता है। यदि उसके तीन विभाग किये जाए तो एक ओर पृथक्पृथक् दो परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक सप्तप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक षट्प्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर एक परमाणुपुद्गल, एक ओर एक त्रिप्रेदशी स्कन्ध और एक पंचप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर एक परमाणुपुद्गल, और एक ओर दो चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होते हैं। अथवा एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध, एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक चतुष्पदेशी स्कन्ध होता है । अथवा तीन त्रिप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। ___चार भाग किये जाने पर-एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक षट्प्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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