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________________ ९२ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [५०] विवाहोपरान्त महाबल कुमार के माता-पिता ने (अपनी आठों पुत्रवधुओं के लिए) इस प्रकार का प्रीतिदान दिया। यथा—आठ कोटि हिरण्य (चांदी के सिक्के), आठ कोटी स्वर्ण मुद्राएँ (सौनैया) आठ श्रेष्ठ मुकुट, आठ श्रेष्ठ कुण्डलयुगल, आठ उत्तम हार, आठ उत्तम अर्द्धहार, आठ उत्तम एकावली हार, आठ मुक्तावली हार, आठ कनकावली हार, आठ रत्नावली हार, आठ श्रेष्ठ कड़ों की जोड़ी, आठ बाजूबन्दों की जोड़ी, आठ श्रेष्ठ रेशमी वस्त्रयुगल, आठ टसर के वस्त्रयुगल, आठ पट्टयुगल, आठ दुकूलयुगल, आठ श्री, आठ ह्री, आठ धी, आठ कीर्ति, आठ बुद्धि एवं आठ लक्ष्मी देवियाँ, आठ नन्द, आठ भद्र, आठ उत्तम तल (ताड़) वृक्ष, ये सब रत्नमय जानने चाहिए। अपने भवन में केतु (चिह्न) रूपं आठ उत्तम ध्वज, दस-दस हजार गायों के प्रत्येक ले आठ उत्तम वज्र (गोकल).बत्तीस माष्यों द्वारा किया जाने वाला एक नाटक होता है.ऐसे आठ उत्तम नाटक, श्रीगृहरूप आठ उत्तम अश्व, ये सब रत्नमय जानने चाहिए। भाण्डागार (श्रीगृह) के समान आठ रत्नमय उत्तमोत्तम हाथी, आठ उत्तम यान, आठ उत्तम युग्म (एक प्रकार का वाहन), आठ शिविकाएं, आठ स्यन्दमानिका (पुरुषप्रमाण-म्याना, या पालकी) इसी प्रकार आठ गिल्ली (हाथी की अम्बाड़ी), आठ थिल्ली (घोड़े का पलाण—काठी), आठ श्रेष्ठ विकट (खुले) यान, आठ पारियानिक (क्रीडा करने के) रथ, आठ संग्रामिक (युद्ध के समय उपयोगी) रथ, आठ उत्तम अश्व, आठ उत्तम हाथी, दस हजार कुलों-परिवारों का एक ग्राम होता है, ऐसे आठ उत्तम ग्राम; आठ उत्तम दास, एवं आठ उत्तम दासियाँ, आठ, उत्तम किंकर, आठ उत्तम कंचुकी (द्वाररक्षक), आठ वर्षधर (अन्तःपुर रक्षक, खोजा), आठ महत्तरक (अन्तःपुर के कार्य का विचार करने वाले),आठ सोने के, आठ चांदी के और आठ सोने-चांदी के अवलम्बन दीपक (लटकने वाले दीपक हंडे), आठ सोने के, आठ चांदी के और आठ सोना-चांदी के उत्कंचन दीपक (दण्डयुक्त दीपक-मशाल), इसी प्रकार सोना, चांदी और सोना-चांदी, इन तीनों प्रकार के आठ पंजरदीपक, सोना, चांदी और सोने-चांदी के आठ थाल, आठ थालियाँ, आठ स्थासक (तश्तरियाँ), आठ मल्लक (कटोरे), आठ तलिका (रकाबियां), आठ कलाचिका (चम्मच) आठ तापिकाहस्तक (संडासियाँ), आठ तवे, आठ पादपीठ (बाजोट), आठ भीषिका (आसन-विशेष), आठ करोटिका (लोटा), आठ पलंग, आठ प्रतिशय्याएँ (छोटे पलंग), आठ हंसासन, आठ क्रौंचासन, आठ गरुड़ासन, आठ उन्नतासन, आठ अवनतासन, आठ दीर्घासन, आठ भद्रासन, आठ पक्षासन, आठ मकरासन, आठ पद्मासन, आठ दिक्स्वस्तिकासन, आठ तेल के डिब्बे, इत्यादि सब राजप्रश्नीयसूत्र के अनुसार जानना चाहिए; यावत् आठ सर्षप के डिब्बे, आठ कुब्जा दासियाँ आदि सभी औपपातिक सूत्र के अनुसार जानना चाहिए; यावत् आठ पारस देश की दासियाँ, आठ छत्र, आठ छत्रधारिणी दासियाँ, आठ चामर, आठ चामरधारिणी दासियाँ, आठ पंखे, आठ पंखाधारिणी दासियाँ, आठ करोटिका (ताम्बूल के करण्डिए), आठ करोटिकाधारिणी दासियाँ,आठ क्षीरधात्रियाँ, यावत् आठ अंकधात्रियाँ, आठ अंगमर्दिका (हल्की मालिश करने वाली दासियाँ), आठ उन्मर्दिका (अधिक मर्दन करने वाली दासियाँ), आठ स्नान कराने वाली दासियाँ, आठ अलंकार पहनाने वाली दासियाँ, आठ चन्दन घिसने वाली दासियाँ, आठ ताम्बूल चूर्ण पीसने वाली, आठ कोष्ठागार की रक्षा करने वाली, आठ परिहास करने वाली, आठ सभा में पास रहने वाली, आठ नाटक करने वाली, आठ कौटुम्बिक ( साथ रहने वाली सेविकाएँ), आठ रसोई बनाने वाली, आठ भण्डार की रक्षा करने वाली, आठ तरुणियाँ, आठ
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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