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________________ ग्यारहवाँ शतक : उद्देशक-११ ९१ कुंडलजोयप्पवरे, अट्ट हारे हारप्पवरे, अट्ठ अद्धहारे अद्धहारप्पवरे, अट्ठ एगावलीओ एगवलिप्पवराओ, एवं मुत्तावलीओ, एवं कणगावलीओ, एवं रयणावलीओ, अट्ठ कडगजोए कडगजोयप्पवरे, एवं तुडियजोए, अट्ठखोमजुयलाई खोमजुयलप्पवराई, एवं वडगजुयलाइंएवं पट्टजुयलाई, एवं दुगुल्लजुयलाई, अट्ठ सिरीओ अट्ठ हिरीओ, एवं धितीओ, कित्तीओ, बुद्धीओ, लच्छीओ; अट्ठ नंदाई, अट्ठ भद्दाई, अट्ठ तले जलप्पवरे सव्वरयणामए णियगवरभवणकेऊ, अट्ठ झए झयप्पवरे, अट्ठ वए वयप्पवरे दसगोसाहस्सिएणं वएणं, अट्ठ नाडगाई नाडगप्पवराई बत्तीसइबद्धेणं नाडएणं, अट्ठ आसे आसप्पवरे सव्वरयणामए सिरिघरपडिरूवए, अट्ट हत्थी हत्थिपवरे, सव्वरयणामए सिरिघरपडिरूवए, अट्ठ जाणाई जाणप्पवराई, अट्ठ जुंगाई जुंगप्पनराई, एवं सिबियाओ, एवं संदमाणियाओ, एवं गिल्लीओ थिल्लीओ, अट्ठ वियडजाणाई वियडजाणप्पवराई, अट्ठ रहे पारिजाणिए, अट्ठ रहे संगामिए, अट्ठ आसे आसप्पवरे, अट्ठ हत्थी हत्थिप्पवरे, अट्ठ गामे गामप्पवरे, दसकुलसाहस्सिएणं गामेणं, अट्ठ दासे दासवप्पवरे, एवं दासीओ, एवं किंकरे, एवं कंचुइज्जे, एवं वरिसधरे, एवं महत्तरए, अट्ठ सोवण्णिए ओलंबणदीवे अट्ठ रुप्पामए ओलंबणदीवे, अट्र सवण्णरुप्पामए ओलंबणदीवे, अट्ट सोवण्णिए उक्कंपणदीवे, एवं चेव तिण्णि वि; अट्ठसोवण्णिए पंजरदीवे, एवं चेव तिणि वि; अट्ठ सोवण्णिए थाले, अट्ठरुप्पामए थाले, अटु सुवण्ण-रुप्पामए थाले, अटु सोवण्णियाओ पत्तीओ, अट्र रुप्पामयाओ पत्तीओ, अट्र सवण्णरुप्पामयाओ पत्तीओ: असोवणियाडं थासगाई ३, असोवण्णियाइं मल्लगाई ३, असोवणियाओ तलियाओ ३, अट्ठ सोवणियाओ कविचिआओ ३, अट्ठ सोवण्णिए अवएडए ३, अट्ठ सोवणियाओ अवयक्काओ ३, अट्ठ सोवण्णिए पायपीढए ३, अट्ठ सोवणियाओ भिसियाओ ३, अट्ट सोवणियाओ करोडियाओ ३, अट्ठ सोवण्णिए पल्लंके ३, अट्ठ सोवणियाओ पडिसेज्जाओ ३, अट्ठ० हंसासणाई ३, अट्ठ० कोंचासणाई ३, एवं गरुलासणाई उन्नतासणाइं पणतासणाई दीहासणाई भद्दासणाई पक्खासणाई मगरासणाई, अट्ठ० पउमासणाई, अट्ठ० उसभासणाई, अट्ठ० दिसासोवत्थियासणाई, अट्ट०१ तेल्लसमुग्गे, जहा रायप्पसेणइज्जे जाव अट्ट० सरिसवसमग्गे, अट्र खज्जाओ जहा उववातिए जाव अट्ठ पारसीओ, अट्ठ छत्ते, अट्ठ छत्तधारीओ चेडीओ, अट्ठ चामराओ, अट्ठ चामरधारीओ चेडीओ, अट्ठ तालियंटे, अट्ठ तालियंटधारीओ चेडीओ, अट्ठ करोडियाओ, अट्ठ करोडियाधारीओ चेडीओ, अट्ठ खीरधातीओ, जाव अट्ठ अंकधातीओ, अट्ठ अंगमद्दियाओ, अट्ठ उम्मद्दियाओ, अट्ठ पहावियाओ, अट्ठ पसाधियाओ, अट्ठ वण्णगपेसीओ, अट्ठ चुण्णगपेसीओ, अट्ठ कोडा (? ड्डा) कारीओ, अट्ठ दवकारीओ, अट्ठ उवत्थाणियाओ, अट्ठ नाडइज्जाओ, अट्ठ कोडंबिणीओ, अट्ठ महाणसिणीओ, अट्ठ भंडागारिणीओ, अट्ठ अब्भाधारिणीओ, अट्ठ पुप्फधारिणीओ, अट्ठ पाणिधारिणीओ, अट्ठ बलिकारियाओ, अट्ट सेज्जाकारीओ, अट्ठ अभितरियाओ पडिहारीओ अट्ठ बाहिरियाओ पडिहारीओ, अट्ठ मालाकारीओ, अट्ठ पेसणकारीओ, अन्नं वा सुबहु हिरण्णं वा, सुवण्णं वा, कंसं वा दूसं वा, विउलघणकणग जाव सतसावदेजं अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पकामं दाउं पकामं परिभोत्तुं पकामं परियाभाए। १. देखिय राजप्रश्नीयसूत्र में-अट्ट कुट्ठसमुग्गे, एवं पत्त-चोय-तगर-एल-हरियाल-हिंगुलय-मणोसिल-अंजणसमुग्गे। -राजप्रश्नीय पृ. १८१, कण्डिका १०७ (गुर्जर ग्रन्थ)
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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