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________________ चउत्थो उद्देसओ : 'सपएस' चतुर्थ उद्देशक : सप्रदेश कालादेश से चौबीस दण्डक के एक-अनेक जीवों की सप्रदेशता - अप्रदेशता की प्ररूपणा १. जीवे णं भंते ! कालादेसेणं किं सपदेसे, अपदेसे ? गोयमा ! नियमा सपदेसे । [१ प्र.] भगवन् ! क्या जीव कालादेश (काल की अपेक्षा) से सप्रदेश है या अप्रदेश है ? [१ उ.] गौतम ! कालादेश से जीव नियमत: (निश्चित रूप से) सप्रदेश है। २. [ १ ] नेरतिए णं भंते ! कालादेसेणं किं सपदेसे, अपदेसे ? गोयमा ! सिय सपदेसे, सिय अपदेसे । [२-१ प्र.] भगवन् ! क्या नैरयिक जीव कालादेश से सप्रदेश है या अप्रदेश है ? [२-१ उ.] गौतम ! एक नैरयिक जीव कालादेश से कदाचित् सप्रदेश है और कदाचित् अप्रदेश है। [ २ ] एवं जाव' सिद्धे । [२-२ प्र.] इसी प्रकार यावत् एक सिद्ध- जीव- पर्यन्त कहना चाहिए। ३. जीवा णं भंते ! कालादेसेणं किं सपदेसा, अपदेसा ? गोयमा ! नियमा सपदेसा । [३ प्र.] भगवन् ! कालादेश की अपेक्षा बहुत जीव (अनेक जीव) सप्रदेश हैं या अप्रदेश हैं ? [३ उ.] गौतम ! अनेक जीव कालादेश की अपेक्षा नियमतः सप्रदेश हैं। ४. [ १ ] नेरड्या णं भंते ! कालादेसेणं किं सपदेसा, अपदेसा ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सपदेसा, अहवा सपदेसा य अपदेसे य, अहवा सपदेसा य अपदेसाय । [४-१ प्र.] भगवन् ! नैरयिक जीव ( बहुत-से नैरयिक) कालादेश की अपेक्षा क्या सप्रदेश हैं या अप्रदेश हैं ? [४-१ उ.] गौतम ! (नैरयिकों के तीन विभाग हैं -) १. सभी (नैरयिक) सप्रदेश हैं, २. बहुत-से १. 'जाव' पद यहाँ भवनपति से लेकर वैमानिकदेव पर्यन्त दण्डकों का सूचक है।
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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