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नवम शतक : उद्देशक-३२
४८३ . होता है। (यों १-२-१-१ के संयोग से चार भंग होते हैं।)
(१) अथवा दो रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक पंकप्रभा में होते हैं । इसी प्रकार यावत् (२-४) अथवा दो रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (यों २-१-१-१ के संयोग से ४ भंग होते हैं।)
अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और दो धूमप्रभा में होते हैं। जिस प्रकार चार नैरयिक जीवों के चतुःसंयोगी भंग कहे हैं, उसी प्रकार पांच नैरयिक जीवों के चतुःसंयोगी भंग कहना चाहिए, किन्तु यहाँ एक अधिक का संचार (संयोग) करना चाहिए। इस प्रकार यावत् दो पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में, एक तम:प्रभा में और एक अध:सप्तमपृथ्वी में होता है, यहाँ तक कहना चाहिए। (ये चतुःसंयोगी १४० भंग होते हैं।)
विवेचन—पांच नैरयिकों के चतुःसंयोगी भंग-चतुःसंयोगी ४ विकल्प होते हैं, यथा १-१-१२,१-१-२-१,१-२-१-१ और २-१-१-१। सात नरकों के चतु:संयोगी पैंतीस भंग होते हैं। इन पैंतीस को ४ से गुणा करने पर कुल १४० भंग होते हैं । यथा-रत्नप्रभा के संयोग वाले ८०, शर्कराप्रभा के संयोग वाले ४०, बालुकाप्रभा के संयोग वाले १६ और पंकप्रभा के संयोग वाले ४, ये सभी मिलकर पंच नैरयिक के चतुःसंयोगी १४० भंग होते हैं।
(१) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है। (२) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में
और एक तमःप्रभा में होता है, (३) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है।
(४) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है। (५) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है।
(६) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है।
(७) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है। (८) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (९) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (१०) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक धूमप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (११) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है। (१२) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक