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________________ ४६६ नहीं, निरन्तर उद्द्वर्त्तित होते हैं। १०. संतरं भंते ! बेइंदिया उव्वट्टंति, निरंतरं बेंदिया उव्वट्टंति ? गंगेया ! संतरं पिबेइंदिया उव्वट्टंति, निरंतरं पि बेइंदिया उव्वट्टति । [१० प्र.] भगवन् ! द्वीन्द्रिय जीवों का उद्वर्त्तन (मरण) सान्तर होता है या निरन्तर होता है ? [१० उ. ] गांगेय ! द्वीन्द्रिय जीवों का उद्वर्त्तन सान्तर भी होता है और निरन्तर भी होता है । ११. एवं जाव वाणमंतरा । [११] इसी प्रकार वाणव्यन्तरों तक जानना चाहिए। १२. संतरं भंते ! जोइसिया चयंति० ? पुच्छा । गंगेया ! संतरं पि जोइसिया चयंति, निरंतरं पि जोइसिया चयंति । [१२ प्र.] भगवन्! ज्योतिष्क देवों का च्यवन (मरण) सान्तर होता है या निरन्तर होता है ? [१२ उ.] गांगेय ! ज्योतिष्क देवों का च्यवन सान्तर भी और निरन्तर भी होता है । १३. एवं जाव वेमाणिया वि। [१३] इसी प्रकार यावत् वैमानिकों तक (च्यवन के सम्बन्ध में भी) जान लेना चाहिए। विवेचन — उपपात - उद्वर्त्तन: परिभाषा — जीवों जन्म या उत्पत्ति को उपपात और मरण या च्यवन को उद्वर्त्तन कहते हैं । वैमानिक और ज्योतिष्क देवों का मरण च्यवन कहलाता है। नारकादि का मरण उद्वर्त्तन । व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र सान्तर और निरन्तर — जीवों की उत्पत्ति आदि में समय आदि काल का अन्तर (व्यवधान) हो तो वह 'सान्तर' और उत्पत्ति आदि में समय आदि काल का अन्तर (व्यवधान) न हो, वह 'निरन्तर ' कहलाता है। एकेन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति और मृत्यु — ये जीव प्रतिसमय उत्पन्न होते और प्रतिसमय मरते हैं । इसलिए उनकी उत्पत्ति और उद्वर्त्तन सान्तर नहीं, निरन्तर होता है। एकेन्द्रिय के सिवाय शेष सभी जीवों की उत्पत्ति और मृत्यु में अन्तर सम्भव है। इसलिये वे सान्तर एवं निरन्तर, दोनों प्रकार से उत्पन्न होते और मरते हैं। पासावच्चिज्जे- पार्वापत्य अर्थात् — पार्श्वनाथ भगवान् के सन्तानीय—— शिष्यानुशिष्य । प्रवेशनक : चार प्रकार १४. कइविहे णं भंते! पवेसणए पण्णत्ते ? १. भगवतीसूत्र (अर्थ - विवेचन) भा. ४, (पं. घेवरचन्दजी), पृ. १६१७ २. वही, पृ. १६१७
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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