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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र सकता है कि 'एक लाख तेतीस हजार नौ सौ पचास कोटाकोटि तारागण......"
सभी द्वीप-समुद्रों में चन्द्र आदि ज्योतिष्कों का अतिदेश-पांचवें सूत्र में पुष्करार्द्ध द्वीप में चन्द्रसंख्या के प्रश्न के उत्तर में अतिदेश किया गया है कि इस प्रकार सभी द्वीप-समुद्रों में चन्द्रमा ही नहीं, सूर्य, नक्षत्र, ग्रह एवं ताराओं (समस्त ज्योतिष्कदेवों) की संख्या जीवाभिगमसूत्र से जान लेनी चाहिए।
॥ नवम शतक : द्वितीय उद्देशक समाप्त॥
१. (क) जीवाभिगमसूत्र १५३, पत्र ३००
(ख) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ४२७ २. (क) जीवाभिगमसूत्र सू. १७५-७७
(ख) भगवती. वृत्ति, पत्र ४२८