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अष्टम शतक : उद्देशक-८
३५७ क्षेत्र में क्रिया नहीं की जाती है।
४४. सा भंते ! किं पुट्ठा कजति, अपुट्ठा कज्जइ ? गोयमा ! पुट्ठा कज्जइ, नो अपुट्ठा कजति जाव नियमा छद्दिसिं। [४४ प्र.] भगवन् ! वे सूर्य स्पृष्ट क्रिया करते हैं या अस्पृष्ट ?
[४४ उ.] गौतम ! वे स्पृष्ट क्रिया करते हैं, अस्पृष्ट क्रिया नहीं करते; यावत् नियमतः छहों दिशाओं में स्पृष्ट क्रिया करते हैं।
४५. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया केवतियं खेत्तं उड्ढं तवंति, केवतियं खेत्तं अहे तवंति, केवतियं खेत्तं तिरियं तवंति ?
गोयमा ! एगंजोयणसयं उड्ढं तवंति, अट्ठारस जोयणसयाई अहे तवंति, सीयालीसं जोयणसहस्साइं दोणि तेवढे जोयणसए एक्कवीसं च सट्ठिभाए जोयणस्स तिरियं तवंति।
[४५ प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में सूर्य कितने ऊँचे क्षेत्र को तपाते हैं, कितने नीचे क्षेत्र को तपाते हैं और कितने तिरछे क्षेत्र को तपाते हैं ?
[४५ उ.] गौतम ! वे सौ योजन ऊँचे क्षेत्र को तप्त करते हैं, अठारह सो यौजन नीचे के क्षेत्र को तप्त करते हैं, और सैंतालीस हजार दो सौ तिरसठ योजन तथा एक योजन के साठ भागों में से इक्कीस भाग (४७२६३१) तिरछे क्षेत्र को तप्त करते हैं।
विवेचनउदय, अस्त और मध्याह्न के समय में सूर्यों की दूरी और निकटता के प्रतिभास आदि की प्ररूपणा–प्रस्तुत ग्यारह सूत्रों (सू. ३५ से ४५ तक) में जम्बूद्वीपस्थ सूर्य-सम्बन्धी दूरी और निकटता आदि निम्नोक्त तथ्यों का निरूपण किया गया है
१. सूर्य उदय और अस्त के समय दूर होते हुए भी निकट तथा मध्याह्न में निकट होते हुए भी दूर दिखाई
देते हैं।
२. उदय, अस्त और मध्याह्न के समय सूर्य ऊँचाई में सर्वत्र समान होते हुए भी लेश्या (तेज) के अभिताप से उदय-अस्त के समय दूर होते हुए भी निकट तथा मध्याह्न में निकट होते हुए भी दूर दिखाई देते हैं।
३. दो सूर्य, अतीत, अनागत क्षेत्र को नहीं, किन्तु वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित और उद्योतित करते हैं। वे अतीत, अनागत क्षेत्र की ओर नहीं, वर्तमान क्षेत्र की ओर जाते हैं।
४. वे स्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अस्पृष्ट क्षेत्र को नहीं; यावत् नियमत: छहों दिशाओं को प्रकाशित तथा उद्योतित करते हैं।
५. सूर्यों की क्रिया अतीत, अनागत क्षेत्र में नहीं, वर्तमान क्षेत्र में की जाती है। ६. वे स्पृष्ट क्रिया करते हैं, अस्पृष्ट नहीं, यावत् छहों दिशाओं में स्पृष्ट क्रिया करते हैं। ७. वे सूर्य सौ योजन ऊँचे क्षेत्र को, १८०० योजन नीचे के क्षेत्र को तथा ४७२६३११ योजन तिरछे क्षेत्र