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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र ३९. जंबुद्वीवे णं दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं ओभासंति, पडुपन्नं खेत्तं ओभासंति, अणागयं खेत्तं ओभासंति?
गोयमा ! नो तीयं खेत्तं ओभासंति, पडुपन्नं खेत्तं ओभासंति, नो अणागयं खेत्तं ओभासंति।
[३९ प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, क्या अतीत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, या अनागत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं।
[३९ उ.] गौतम ! वे अतीत क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते, वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अनागत क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते हैं।
४०. तं भंते ! किं पुटुं ओभासंति, अपुटुं ओभासंति ? गोयमा ! पुटुं ओभासंति, नो अपुढे ओभासंति जाव नियमा छद्दिसिं।
[४० प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य स्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अथवा अस्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं?
[४० उ.] गौतम ! वे स्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अस्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते; यावत् नियमत: छहों दिशाओं को प्रकाशित करते हैं।
४१. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं उज्जोवंति ?
एवं चेव जाव नियमा छद्दिसिं। - [४१ प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य क्या अतीत क्षेत्र को उद्योतित करते हैं ? इत्यादि प्रश्न पूर्ववत् करना चाहिए।
[४१ उ.] गौतम ! इस विषय में पूर्वोक्त प्रकार से जानना चाहिए; यावत् नियमतः छह दिशाओं को उद्योतित करते हैं।
४२. एवं तवेंति, एवं भासंति जाव नियमा छद्दिसिं ? [४२] इसी प्रकार तपाते हैं; यावत् छह दिशा को नियमतः प्रकाशित करते हैं।
४३. जंबुद्धीवे णं भंते ! दीवे सूरियाणं किं तीए खेत्ते किरिया कजइ, पडुप्पन्ने खेत्ते किरिया कज्जइ, अणागए खेत्ते किरिया कज्जइ ?
गोयमा ! नो तीए खेत्ते किरिया कज्जई, पडुप्पन्ने खेत्ते किरिया कज्जइ, णो अणागए खेत्ते किरिया कज्जइ।
[४३ प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में सूर्यों की क्रिया क्या अतीत क्षेत्र में की जाती है ? वर्तमान क्षेत्र में ही की जाती है अथवा अनागत क्षेत्र में की जाती है ?
.. [४३ उ.] गौतम ! अतीत क्षेत्र में क्रिया नहीं की जाती, वर्तमान क्षेत्र में क्रिया की जाती है और अनागत