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________________ ३५६ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र ३९. जंबुद्वीवे णं दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं ओभासंति, पडुपन्नं खेत्तं ओभासंति, अणागयं खेत्तं ओभासंति? गोयमा ! नो तीयं खेत्तं ओभासंति, पडुपन्नं खेत्तं ओभासंति, नो अणागयं खेत्तं ओभासंति। [३९ प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, क्या अतीत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, या अनागत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं। [३९ उ.] गौतम ! वे अतीत क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते, वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अनागत क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते हैं। ४०. तं भंते ! किं पुटुं ओभासंति, अपुटुं ओभासंति ? गोयमा ! पुटुं ओभासंति, नो अपुढे ओभासंति जाव नियमा छद्दिसिं। [४० प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य स्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अथवा अस्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं? [४० उ.] गौतम ! वे स्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अस्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते; यावत् नियमत: छहों दिशाओं को प्रकाशित करते हैं। ४१. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं उज्जोवंति ? एवं चेव जाव नियमा छद्दिसिं। - [४१ प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य क्या अतीत क्षेत्र को उद्योतित करते हैं ? इत्यादि प्रश्न पूर्ववत् करना चाहिए। [४१ उ.] गौतम ! इस विषय में पूर्वोक्त प्रकार से जानना चाहिए; यावत् नियमतः छह दिशाओं को उद्योतित करते हैं। ४२. एवं तवेंति, एवं भासंति जाव नियमा छद्दिसिं ? [४२] इसी प्रकार तपाते हैं; यावत् छह दिशा को नियमतः प्रकाशित करते हैं। ४३. जंबुद्धीवे णं भंते ! दीवे सूरियाणं किं तीए खेत्ते किरिया कजइ, पडुप्पन्ने खेत्ते किरिया कज्जइ, अणागए खेत्ते किरिया कज्जइ ? गोयमा ! नो तीए खेत्ते किरिया कज्जई, पडुप्पन्ने खेत्ते किरिया कज्जइ, णो अणागए खेत्ते किरिया कज्जइ। [४३ प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में सूर्यों की क्रिया क्या अतीत क्षेत्र में की जाती है ? वर्तमान क्षेत्र में ही की जाती है अथवा अनागत क्षेत्र में की जाती है ? .. [४३ उ.] गौतम ! अतीत क्षेत्र में क्रिया नहीं की जाती, वर्तमान क्षेत्र में क्रिया की जाती है और अनागत
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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