SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 312
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अष्टम शतक : उद्देशक-२ २८१ प्रश्न है। _ [१२९ उ.] गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी। जो ज्ञानी होते हैं, उनमें कई तीन ज्ञान वाले होते हैं और कई चार ज्ञान वाले होते हैं । जो तीन ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी होते हैं और जो चार ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञान से मनःपर्यवज्ञान तक वाले होते हैं। जो अज्ञानी होते हैं, उनमें नियमत: तीन अज्ञान पाए जाते हैं; यथा—मति-अज्ञान, श्रुत-अज्ञान और विभंगज्ञान। १३०. केवलदसणअणागारोवजुत्ता जहा केवलनाणलद्धिया (सु. ९६ [१])।१०। [१३०] केवलदर्शन-अनाकारोपयोगयुक्त जीवों का कथन केवलज्ञानलब्धियुक्त जीवों के समान (सू. ९६-१ के अनुसार) समझना चाहिए। (दशम द्वार) १३१. सजोगी णं भंते ! जीवा किं नाणी? जहा सकाइया (सु. ४१)। [१३१ प्र.] भगवन् ! सयोगी जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? [१३१ उ.] गौतम ! सयोगी जीवों का कथन सकायिक जीवों के समान (सू.४१ के अनुसार) समझना चाहिए। १३२. एवं मणजोगी, वइजोगी, कायजोगी वि। [१३२] इसी प्रकार मनोयागी, वचनयोगी और काययोगी जीवों का कथन भी समझना चाहिए। १३३. अजोगी जहा सिद्धा (सु. ३८)।११। [१३३] अयोगी (योग-रहित) जीवों का कथन सिद्धों के समान (सू. ३८ के अनुसार) समझना चाहिए। (ग्यारहवाँ द्वार) १३४. सलेस्सा णं भंते ! ०? जहा सकाइया।(सु. ४९)। [१३४ प्र.] भगवन् ! सलेश्य (लेश्या वाले) जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी? _ [१३४ उ.] गौतम ! कृष्णलेश्या जीवों का कथन सेन्द्रिय जीवों के समान (सू. ४४ के अनुसार) जानना चाहिए। १३५.[१] कण्हलेस्सा णं भंते ! ०? जहा सइंदिया।(सु. ४४)। [१३५-१ प्र.] भगवन् ! कृष्णलेश्यावान् जीवा ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ? [१३५-१ उ.] गौतम ! कृष्णलेश्या वाले जीवों का कथन सेन्द्रिय जीवों के समान (सू. ४४ के अनुसार) जानना चाहिए। [२] एवं जाव पम्हलेसा।
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy