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________________ सत्तमं सयं : सप्तम शतक प्राथमिक व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र के सप्तम शतक में आहार, विरति, स्थावर, जीव आदि कुल दश उद्देशक हैं। प्रथम उद्देशक में जीव के अनाहार और सर्वाल्पाहार के काल का, लोकसंस्थान का, श्रमणोपाश्रय में बैठे हुए सामायिकस्थ श्रमणोपासक को लगने वाली क्रिया का, श्रमणोपासक के व्रत में अतिचार लगने के शंकासमाधान का, श्रमण-माहन को प्रतिलाभित करने वाले श्रमणोपासक को लाभ का, नि:संगतादि कारणों से कर्मरहित जीव की ऊर्ध्वगति का, दुःखी को दुःख की स्पृष्टता आदि सिद्धान्तों का, अनुपयुक्त अनगार को लगने वाली क्रिया का, अंगारादि आहार-दोषों के अर्थ का निरूपण किया गया है। द्वितीय उद्देशक में सुप्रत्याख्यानी और दुष्प्रत्याख्यानी के स्वरूप का, प्रत्याख्यान के भेद-प्रभेदों का, जीव और चौबीस दण्डकों में मूल-उत्तरगुण प्रत्याख्यानी-अप्रत्याख्यानी का, मूलगुणप्रत्याख्यानी आदि में अल्पबहुत्व का, सर्वतः और देशतः मूल-उत्तरगुण-प्रत्याख्यानी-अप्रत्याख्यानी के चौबीस दण्डकों में अस्तित्व एवं अल्पबहुत्व का, संयत आदि एवं प्रत्याख्यानी आदि के अस्तित्व तथा अल्पबहुत्व का एवं जीवों की शाश्वतता-अशाश्वतता का निरूपण किया गया तृतीय उद्देशक में वनस्पतिकायिक जीवों के सर्वाल्पाहार एवं सर्वमहाहार के काल की, वानस्पतिकायिक मूल जीवादि से स्पष्ट मूलादि की, आलू आदि अनन्तकायत्व एवं पृथक्कायत्व की, जीवों में लेश्या की अपेक्षा अल्प-महाकर्मत्व की, जीवों में वेदना और निर्जरा के पृथक्त्व की और अन्त में चौबीस दण्डकवर्ती जीवों की शाश्वतता-अशाश्वतता की प्ररूपणा की गई है। चतुर्थ उद्देशक में संसारी जीवों के सम्बंध में जीवाजीवाभिगम के अतिदेशपूर्वक वर्णन है। पंचम उद्देशक में पक्षियों के विषय में योनिसंग्रह, लेश्या आदि ११ द्वारों के माध्यम से विचार किया गया है। छठे उद्देशक में जीवों के आयुष्यबंध और आयुष्यवेदन के सम्बंध में, जीवों की महावेदनाअल्पवेदना के सम्बंध में, जीवों के अनाभोगनिर्वर्तित-आयुष्य तथा कर्कश-अकर्कश-वेदनीय, साता-असातावेदनीय के सम्बंध में प्रतिपादन किया गया है, अन्त में छठे आरे में भारत, भारतभूमि, भारतवासी मनुष्यों तथा पशु-पक्षियों के आचार-विचार एवं भाव-स्वरूप का प्रतिपादन किया गया है।
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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