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________________ सत्तमो उद्देसओ : एयण सप्तम उद्देशक : एजन परमाणुपुद्गल - द्विप्रदेशिकादि स्कन्धों के एजनादि के विषय में प्ररूपणा १. परमाणुपोग्गले णं भंते! एयति वेयति जाव' तं तं भावं परिणमति ? गोमा ! सिय एयति वेयति जाव परिणमति, सिय णो एयति जाव णो परिणमति । [१ प्र.] भगवन्! क्या परमाणुपुद्गल कांपता है, विशेष रूप से कांपता है ? यावत् उस-उस भाव में (विभिन्न परिणामों में) परिणत होता है ? [१ उ.] गौतम ! परमाणु पुद्गल कदाचित् कांपता है, विशेष कांपता है, यावत् उस-उस भाव में परिणत होता है; कदाचित् नहीं कांपता, यावत् उस-उस भाव में परिणत नहीं होता । २. [१] दुपदेसिए णं भंते! खंधे एयति जाव परिणमइ ? गोयमा ! सिय एयति जाव परिणमति, सिय णो एयति जाव णो परिणमति; सिय देसे एयति, देसे नो एयति । [२-१ प्र.] भगवन्! क्या द्विप्रदेशिक स्कन्ध कांपता है, विशेष कांपता है, यावत् उस-उस भाव में परिणत होता है ? [२-१ उ.] हे गौतम! कदाचित् कम्पित होता है, यावत् परिणत होता है, कदाचित् कम्पित नहीं होता, यावत् परिणत नहीं होता। कदाचित् एक देश (भाग) से कम्पित होता है, एक देश से कम्पित नहीं होता । [२] तिपदेसिए णं भंते! खंधे एयति० ? गोमा ! यि यति १, सिय नो एयति २, सिय देसे एयति, नो देसे एयति ३, सिय देसे यति नो देसा एयंति ४, सिय देसा एयंति नो देसे एयति ५ । [२-२ प्र.] भगवन्! क्या त्रिप्रदेशिक स्कन्ध कम्पित होता है, यावत् परिणत होता है ? [२-२ उ.] गौतम ! कदाचित् कम्पित होता है, कदाचित् कम्पित नहीं होता; कदाचित् एक देश कम्पित होता है, और एक देश से कम्पित नहीं होता; कदाचित् एक देश से कम्पित होता है, और बहुत देशों से कम्पित नहीं होता; कदाचित् बहुत देशों से कम्पित होता है और एक देश से कम्पित नहीं होता । [२] चउप्पएसिए णं भंते! खंधे एयति० ? गोमा ! यि यति १, सिय नो एयति २, सिय देसे एयति, णो देसे एयति ३, सिय देसे यति णो देसा एयंति ४, सिय देसा एयंति नो देसे एयति ५, सिय देसा एयंति नो देसा एयंति ६। १. 'जाव' पद यहाँ 'चलति, फंदति, खोभति' इन क्रियापदों का सूचक है।
SR No.003442
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages569
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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