________________
४१०]
[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र दूसरे मण्डल में जाता है, तब मुहूर्त के २/६१ भाग कम अठारह मुहूर्त का दिन होता है, जिसे शास्त्र में अष्टादश-मुहूर्तानन्तर' कहते हैं, क्योंकि यह समय १८ मुहूर्त का दिन होने के तुरंत बाद में आता है।
क्रमशः सूर्य की विभिन्न मण्डलों में गति के अनुसार दिन-रात्रि का परिमाण इस प्रकार है
(१) दूसरे से ३१वें मण्डल के अर्द्धभाग में जब सूर्य जाता है, तब दिन १७ मुहूर्त का, रात्रि १३ मुहूर्त की।
(२) ३२वें मण्डल के अर्द्धभाग में जब सूर्य जाता है, तब १ मुहूर्त के ३/६१ भाग कम १७ मुहूर्त का दिन और रात्रि मुहूर्त के २/६१ भाग अधिक १३ मुहूर्त।
___(३) ३३वें मण्डल से ६१वें मण्डल में जब सूर्य जाता है, तब १६ मुहूर्त का दिन, १४ मुहूर्त की रात्रि।
(४) सूर्य जब दूसरे से ९२वें मण्डल के अर्द्धभाग में जाता है, तब १५-१५ मुहूर्त के दिन और रात्रि।
(५) सूर्य जब १२२वें मण्डल में जाता है तब दिन १४ मुहूर्त का होता है। (६) सूर्य जब १५३वें मण्डल के अर्द्धभाग में जाता है तब दिन १३ मुहूर्त का होता है।
(७) सूर्य जब दूसरे से सर्व बाह्य १८३वें मण्डल में होता है, तब ठीक १२ मुहूर्त का दिन और १८ मुहूर्त की रात होती है। ऋतु से लेकर उत्सर्पिणीकाल तक विविध दिशाओं एवं प्रदेशों (क्षेत्रों) में अस्तित्व की प्ररूपणा
१४. जया णं भंते! जंबु० दाहिणड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवज्जति तया णं उत्तरड्ढे वि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ ? जया णं उत्तरड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमपच्चत्थिमेणं अणंतरपुरक्खडसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवज्जति ?
हंता, गोयमा ! जदा णं जंबु० २ दाहिणड्ढे वासाणं प० सं० पडिवज्जति तह चेव जाव पडिवज्जति।
[१४ प्र.] भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में वर्षा (ऋतु) (चौमासे के मौसम) का प्रथम
१. (क) भगवतीसूत्र अ. वृत्ति, पत्रांक २०८-२०९
(ख) भगवती० हिन्दी विवेचनयुक्त (पं. घेवरचन्दजी) भा. २, पृ.७६०-७६१ (ग) दिन और रात्रि का कालमान-घंटों के रूप में, १ । मुहूर्त-१ घंट, १ मुहूर्त-४८ मिनट । यदि सूर्य १
मण्डल में ४८ घंटे रहता हो तो ४८ को १० का भाग करके भाजक संख्या को तिगुनी करने पर जितने घंटे मिनट आवें, उतनी संख्या दिन के माप की होती है। जैसे ४८ घंटे सूर्य रहता है तो ४८ में १० का भाग देने से ४॥घंटे और ३ मिनट आते हैं। फिर उसे तीन से गुणा करने पर १४ घंटे ९ मिनट आते हैं। अभिप्राय यह है कि जब तक सूर्य एक मण्डल में ४८ घंटे तक रहता है, वहाँ तक इतने घंटे (१४ घंटे, ९ मिनट) का दिन बड़ा होता है। रत्रि के लिए भी यही बात समझना। अर्थात्-इतना बड़ा दिन हो तो रात्रि ९॥ घंटे,६ मिनट की होती है।
-भगवती. टीकानुवाद टिप्पण, खण्ड २, पृ.१५०