SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 450
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पंचम शतक : उद्देशक - १] [ ४०९ वि ? जया णं उत्तरड्ढे तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे-पच्चत्थिमे णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति ? हंता, गोयमा ! एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव राती भवति । [१२ प्र.] भगवन्! जब जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से दक्षिणार्द्ध में जघन्य बारह मुहूर्त का दिन होता है, तब क्या उत्तरार्द्ध में भी ( इसी तरह होता है ) ? और जब उत्तरार्द्ध में भी इसी तरह होता है, तब क्या जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से पूर्व और पश्चिम में उत्कृष्ट (सबसे बड़ी) अठारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है ? [१२ उ.] हाँ, गौतम! इसी (पूर्वोक्त) प्रकार से सब कहना चाहिए, यावत् .... रात्रि होती है। १३. जदा णं भंते! जंबु० मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं पच्चत्थिमेण वि ? जया णं पच्चत्थिमेणं वि तदा णं जंबु० मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति ? हंता, गोयमा ! जाव राती भवति । [१३ प्र.] भगवन्! जब जम्बूद्वीप के मन्दर पर्वत से पूर्व में जघन्य (सबसे छोटा ) बारह मुहूर्त्त का दिन होता है, तब क्या पश्चिम में भी इसी प्रकार होता है ? और जब पश्चिम में इसी तरह होता है, तब क्या जम्बूद्वीप के मन्दर - पर्वत के उत्तर और दक्षिण में उत्कृष्ट ( सबसे बड़ी) अठारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है ? [१३ उ.] हाँ, गौतम! यह इसी तरह यावत् .... रात्रि होती है । विवेचन जम्बूद्वीप में दिवस और रात्रि का काल - परिणाम प्रस्तुत सात सूत्रों में जम्बूद्वीप दिन और रात का मुहूर्तों के रूप में परिमाण बताया गया है। दिन और रात्रि की कालगणना का सिद्धान्त—जैन सिद्धान्त की दृष्टि से दिन और रात्रि मिला कर दोनों कुल ३० मुहूर्त के होते हैं। दक्षिण और उत्तर में दिन का उत्कृष्ट मान १८ मुहूर्त्त का होगा तो पूर्व और पश्चिम में रात्रि १२ मुहूर्त की होगी । यदि रात्रि पूर्व व पश्चिम में उत्कृष्टतः १८ मुहूर्त्त की होगी तो दक्षिणार्द्ध एवं उत्तरार्द्ध में जघन्य १२ मुहूर्त का दिन होगा, इसी तरह पूर्व पश्चिम में जघन्य १२ मुहूर्त्त का दिन होगा तो उत्तर एवं दक्षिण में रात्रि उत्कृष्ट १८ मुहूर्त्त की होगी। यदि दक्षिणार्द्ध, उत्तरार्द्ध अथवा पूर्व और पश्चिम में १८ मुहूर्त्तानन्तर का दिन होगा तो पूर्व और पश्चिम में अथवा उत्तर और दक्षिण में रात्रि सातिरेक १२ मुहूर्त्त की होगी । तात्पर्य यह है कि ३० मुहूर्त अहोरात्र में से दिवस का जितना भाग बढ़ता या घटता है, उतना भाग, रात्रि का घटता या बढ़ता जाता है। सूर्य के कुल १८४ मण्डल हैं। उनमें से जम्बूद्वीप में ६५ और लवणसमुद्र में शेष ११९ मण्डल हैं । जब सूर्य सर्वाभ्यन्तर मण्डल में होता है, तब १८ मुहूर्त्त का दिन होता है और १२ मुहूर्त्त की रात्रि होती है । जब सूर्य बाह्यमण्डल से आभ्यन्तरमण्डल की ओर आता है, तब क्रमशः प्रत्येक मण्डल में दिवस बढ़ता जाता है और रात्रि घटती जाती है; और जब सूर्य आभ्यन्तरमण्डल से बाह्यमण्डल की ओर प्रयाण करता है, तब प्रत्येक मण्डल में डेढ़ मिनट से कुछ अधिक रात्रि बढ़ती जाती है तथा दिन उतना ही घटता जाता है। जब सूर्य सर्वाभ्यन्तर मण्डल से निकल कर उसके पास वाले
SR No.003442
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages569
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy